योगी ने बदली बुढ़ाना की फ़िज़ा सीएम योगी का संबोधन इलाके में छेड़ गया नई चर्चा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज (सोमवार) को मुजफ्फरनगर की बुढ़ाना विधानसभा सीट पर चुनाव प्रचार करने पहुंचे। इसी विधानसभा क्षेत्र के गांव सोरम की ऐतिहासिक चौपाल से वर्ष 1857 की क्रांति का बिगुल बजा था। यह वही बुढ़ाना है, जहां के सिसौली से उठे किसान आंदोलन की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दी थी।

भाईचारे की मिसाल रहा यह क्षेत्र वर्ष 2013 के दंगे में सबसे ज्यादा प्रभावित भी हुआ था। तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सांसद रहते हुए संसद में बुढ़ाना का आवाज उठाई थी।आज फिर मुख्यमंत्री ने यहां मुजफ्फरनगर दंगे का जिक्र किया और कहा कि तब दो लड़कों (अखिलेश -जयंत) की जोड़ी कहां थी जब यहां हिंसा हुई थी? तब अखिलेश तांडव लखनऊ में बैठ कर क्या कर रहे थे? मैं यही याद दिलाने आया हूँ. अब आप तय करें कि आपको दंगा रोकने वाली दमदार सरकार चाहिए, या दंगा करवाने वाली दुमदार सरकार। मुख्यमंत्री यह दावा कर इलाके के सारे समीकरणों को अपने पक्ष में साध गए।

फ़िज़ा बदल गए मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री यहां बुढ़ाना की फ़िज़ा बदल गए और किसान आंदोलन के नाम पर मन में नाराजगी लिए घूम रहे लोगों के दिलों में जगह बना गए। मुख्यमंत्री का बुढ़ाना में हुआ यह संबोधन समूचे बुढ़ाना विधानसभा क्षेत्र में नई चर्चा छेड़ गया है। इसकी वजह है मुख्यमंत्री का उन बिन्दुओं को यहां उठाना जिनकी चर्चा इलाके की खापों में बीते सात वर्षों के हो रही थी। मुजफ्फरनगर दंगे के बाद जो तुष्टिकरण राजनीति हुई उससे यह इलाका सबसे अधिक प्रभावित हुआ था। यहां किसानों पर बर्स्ट फायरिंग हुई थी। तब उस समय जुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाने आये संजीव बालियान, सुरेश राणा, विक्रम सैनी को जेल में डाल दिया था। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में इसका जिक्र किया और कहा कि आज चुनाव घोषित हुए तो ये सभी (विपक्षी) बिल से निकलकर फुफकार मारने आ गए हैं। उन्होंने कहा भी कि दंगाइयों,अपराधियों, माफियाओं के लिए डबल इंजन सरकार खतरा है। अगर छेड़ा तो छोड़ेंगे नही। मुख्यमंत्री का यह ऐलान उन्हें सुनने आये इलाके के लोगों को संतुष्ट कर विपक्षी दलों का संकट बढ़ा गया है।

बुढ़ाना विधानसभा सीट वर्ष 2012 में खतौली विधानसभा क्षेत्र के परिसीमन के बाद बनी थी। यहां पहला चुनाव सपा के टिकट पर नवाजिश आलम जीते थे। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा) के उमेश मलिक विधायक बने। उमेश मलिक फिर इस बार भाजपा के प्रत्याशी हैं। रालोद-सपा गठबंधन से पूर्व विधायक राजपाल बालियान यहां चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस ने इस बार देवेंद्र कश्यप को चुनाव मैदान में उतारा है। बसपा ने पिछले चुनाव में पूर्व सांसद कादिर राना की पत्नी को टिकट दिया था, जबकि इस बार हाजी अनीस को चुनाव लड़ा रही है। विपक्ष के यह प्रत्याशी सिर्फ भाजपा को हराने के नाम पर लोगों से वोट मांग रहे हैं, जबकि भाजपा प्रत्याशी उमेश मलिक बीते पांच वर्षों में सरकार के प्रयासों से हुए विकास कार्यों का हवाला देते हुए बेहतर कानून व्यवस्था के नाम पर लोगों का आशीर्वाद मांग रहे हैं। मुख्यमंत्री के संबोधन के बाद यहां लोगों का विपक्षी नेताओं के बारे में विचार बदला है।

बुढ़ाना विधानसभा क्षेत्र खापों का गढ़ है। जाटों की बालियान, गठवाला, राठी, डबास, देशवाल, सहरावत खाप इसी क्षेत्र में हैं। मुस्लिम राजपूत समाज चौबीसी की चौधराहट जौला में है।सिसौली में जाटों के अलावा बालियान खाप के सर्व समाज की चौधराहट है. खापों के इस गढ़ में चौधरियों के फैसले का चुनाव पर पूरा असर रहता है। टिकैत का कस्बा सिसौली इसी विधानसभा का हिस्सा है. दिल्ली की सीमा पर 13 महीने तक चले किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर इसी सीट पर दिखाई पड़ रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दौरे ने इस इलाके में अपनी छाप छोड़ी है और इसका असर अब चुनावों के परिणाम में दिखेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह कहना कि ये चुनाव आरपार की लड़ाई है,आपको कर्फ्यू वाली सरकार चाहिए,या कांवड़ यात्रा वाली सरकार चाहिए,,यहाँ के लोगों को पसंद आया है क्योंकि यहां के लोग अमन चाहते हैं और पांच साल योगी सरकार ने उन्हें यह दिया है। लोगों की यह सोच ही मुख्यमंत्री के संबोधन की सफलता है.