लखनऊ: मुख्य सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्र ने केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के प्रेक्षागृह में “वन ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था में कृषि प्रसार की भूमिका’ विषयक कार्यशाला में प्रतिभाग किया।
कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए मुख्य सचिव  ने कहा कि आगामी 4 वर्ष में उत्तर प्रदेश की वन ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने में कृषि की बड़ी भूमिका होगी। प्रदेश की ट्रिलियन डालर अर्थव्यवस्था के प्राप्ति में धरातल पर जो कार्य किये जाने है, उसमें प्रसार की मूल सिद्धांत “विज्ञान की बात किसानों के साथ” तथा “किसानों की बात किसानों के साथ” को स्मरण करके चलना होगा। टारगेटेट अप्रोच को अपनाना होगा।
उन्होंने कहा कि वर्तमान की संरचना में सुधार करते हुए कृषि एवं उससे संबन्धित सभी विभागों के प्रसार कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण निरन्तर किये जाने की आवश्यकता है, जिसमें उन्हें सभी विभागों के योजनाओं की जानकारी कृषको तक पहुँचाने में सहजता हो। आज के परिपेक्ष्य में कृषि क्षेत्र में युवाओं को इस प्रकार से सम्मिलित करना होगा, जिससे उनमें रूचि पैदा हो तथा स्किल मिशन से जोड़कर उन्हें आधुनिक तकनीकी से दक्ष बनाया जा सके।
उन्होंने कृषि में महिलाओं के योगदान व उनकी भूमिका को बढ़ाये जाने की आवश्यकता पर विशेष बल दिया। उन्होंने स्वयं सहायता समूहों एवं कृषक उत्पादक संगठनों को मूल्य संवर्धन की छोटी-छोटी इकाईयां स्थापित करने के साथ उन्हें प्रशिक्षित किये जाने के विशेष निर्देश दिये। इसी प्रकार उन्होंने नन्द बाबा मिशन, कुसुम योजना के माध्यम से कृषकों को सौर ऊर्जा के अधिकाधिक उपयोग हेतु प्रशिक्षित कराये जाने की आवंश्यकता को भी इंगित किया।
उन्होंने गन्ना आयुक्त श्री प्रभु नारायण सिंह द्वारा इंगित किये गये तथ्य कि एथेनाल के प्रयोग बढ़ने से गन्ना किसानों को गन्ना मूल्य देना आसान हो जाने की स्थिति की सराहना करते हुए प्रत्येक विभाग को इसी प्रकार के कार्यक्रम बनाये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादों के निर्यात बढ़ाये जाने के साथ कान्ट्रैक्ट फार्मिंग एवं सहकारी खेती के माध्यम से आत्म निर्भर गांव विकसित किये जाने हेतु विचार-विमर्श कर कार्ययोजना तैयार की जाये।
उन्होंने कहा कि कार्यशाला में विशेष रूप से बीज की तकनीकी, मिश्रित खेती तथा दुग्ध उत्पादन, चारा प्रबन्धन तथा मत्स्य उत्पादन जैसे क्षेत्रों में उत्पादन उत्पादकता वृद्धि के साथ साथ उन्हें निर्यात करने की व्यवस्था बनाने की आवश्यकता पर बल दिया जाये। कृषक उत्पादक संगठनों की भूमिका को सुदृढ़ बनाते हुए विकास खण्ड के निचले स्तर न्याय पंचायत तक संगठित ढाचा के रूप में विकसित किया जाये। उन्होंने कहा कि विश्वास कायम करना होगा कि निर्धारित अवधि में ट्रिलियन डालर अर्थव्यवस्था की प्राप्ति प्रदेश अवश्य करेगा।
उन्होंने कहा कि एफपीओ की शुरुआत करने का उद्देश्य है कि किसानों की इनपुट और आउटपुट बेहतर हो सके। कृषि विकास दर को दोगुणा करने में कृषक उत्पादक संगठन का भी अहम रोल होगा। बाराबंकी के किसान पद्मश्री राम सरन वर्मा जी का जिक्र करते हुए कहा कि किसानों के लिए वह एक मॉडल है। जनपद के किसानों को उनसे सीख लेना चाहिए। प्रदेश में किसानों की आमदनी को बढ़ाकर उन्हें समृद्ध बनाने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा हैं। आज कृषि के डिजिटलाइजेशन का युग है। तकनीक के माध्यम से खेती में उत्पादकता बढ़ाई जाए।
कार्यशाला में अपर मुख्य सचिव (कृषि) डॉ0 देवेश चतुर्वेदी ने प्रदर्शनों में समन्वय के साथ-साथ प्रशिक्षण व सामग्रियों की कनवर्जेन्स, प्रीसीजन टेक्नोलॉजी के प्रयोग से क्षमता विकास पर विशेष बल दिया। उन्होंने राज्य कृषि प्रबन्ध संस्थान को इन्टीग्रेटेड ट्रेनिंग प्रोग्राम के साथ-साथ कम्बाइन हार्वेस्टर व सोलर पम्प के मैकेनिक के प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारम्भ किये जानें की आवश्यकता बताई। उन्होंने बताया कि कृषि विश्वविद्यालयों के अन्तिम समेस्टर के छात्रों को कृषि व अन्य सम्बद्ध विभागों में 03-04 महीने का प्री-इन्टर्नशिप कराये जाने की कार्ययोजना बनाये जाने हेतु निर्देश दिये गये हैं।
इस कार्यशाला में डिलायट संस्था द्वारा प्रदेश की अर्थव्यवस्था एक ट्रिलियन डालर बनाने हेतु कृषि, उद्यान, पशुपालन व मत्स्य के क्षेत्रों मे संभावनाओं को विस्तृत रूप से इंगित किया।
कार्यशाला में प्लानिंग कमीशन भारत सरकार के पूर्व सलाहकार डा० वी०वी० सदामते द्वारा प्रसार कार्यकर्ताओं के क्षमता विकास, नवयुवकों व नवयुवतियों को तकनीकी रूप से दक्ष बनाये जाने के साथ-साथ आई०टी० के अधिकतम उपयोग किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यशाला में सचिव कृषि श्री राजशेखर, गन्ना आयुक्त श्री प्रभु नारायण सिंह, निदेशक कृषि श्री विवेक कुमार सिंह, रहमानखेड़ा के निदेशक डा० पंकज त्रिपाठी सहित प्रदेश के मुख्य विकास अधिकारी तथा कृषि पशुपालन,  उद्यान,  डेयरी,  मत्स्य विभाग के अधिकारी कृषि विज्ञान केन्द्रों, कृषक उत्पादक संगठनों, एग्रीजंक्शन केन्द्रों, डिलायट, अर्नेस्ट यग संस्था के प्रतिनिधिगण एवं किसानगण आदि उपस्थित थे।