दमोह में हर वर्ष नवरात्रि के मौके पर महाकाली की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाती है। इस प्रतिमा की एक खास बात ये भी है कि यहां मूर्ति का श्रृंगार करीब 12 तोले सोने के आभूषणों से किया जाता है। सुरक्षा में सशस्त्र पुलिस बल के जवान तैनात रहते हैं।

यहां पर प्रतिमा 1947 से ही स्थापित की जा रही है, लेकिन बदलते समय और चोरी की घटनाओं को देखते हुए 20 साल से यहां पर सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाते हैं। महाकाली चौराहा निवासी 70 वर्षीय निर्गुण खरे बताते हैं कि उनके जन्म के पहले से यानी 76  साल से यहां पर महाकाली की प्रतिमा स्थापित की जा रही है। उनके पिता उस समय इस धार्मिक आयोजन का हिस्सा होते थे और आज वह शामिल होते हैं। समिति के ज्ञानेश ताम्रकार ने बताया कि शुरुआत में सर्राफा व्यापारी प्रतिमा की स्थापना कराते थे और प्रतिमा को आभूषण पहनाने की परंपरा भी उन्होंने शुरू की, लेकिन बाद में सभी के सहयोग से प्रतिमा स्थापित की जाने लगी।

धीरे-धीरे महाकाली के आभूषण बढ़ते गए। आज करीब 12 तोला सोना व 10 किलो चांदी के आभूषणों से महाकाली का श्रृंगार किया जाता है। इन आभूषणों में सोने का हार, लॉकेट, नथ, चूड़ी के अलावा चांदी का मुकुट, करधनी, पायल, छत्र और अन्य श्रृंगार सामग्री है। बताते हैं कि पहले यहां पर कोई सुरक्षा नहीं होती थी, लेकिन समय बदला और मंदिरों में भी चोरी की घटनाएं होने लगीं, तब आयोजकों ने पुलिस से सुरक्षा की मांग की। 22 साल पहले यहां पर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती शुरू हुई, जो आज भी जारी है। पहले केवल लाठीधारी पुलिसकर्मी तैनात किए जाते थे, लेकिन कुछ ही साल बाद सशस्त्र बल की तैनाती शुरू हो गई। अब यहां हर साल नौ दिनों तक हथियारों से लैस पांच सुरक्षाकर्मी 24 घंटे तैनात रहते हैं। दिन में उनकी संख्या दो हो जाती है, क्योंकि दिन भर माता के पट बंद रहते हैं। रात में सभी जवान ड्यूटी देते हैं। प्रतिमा विसर्जन के बाद इन आभूषणों को उतारकर सुरक्षित रखा जाता है उसके बाद इन पुलिसकर्मियों की ड्यूटी खत्म होती है। इन सभी आभूषणों को लाकर में सुरक्षित रखा जाता है।