उत्तर प्रदेश  में कोरोना महामारी के दौर से ही ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत रोजगार देने और इसके जरिए गांवों के विकास को तेज करने की दिशा में लगतार रिकॉर्ड बन रहे हैं। चालू वित्तीय वर्ष के पहले चार महीने में प्रदेश में 34502 परिवारों को मनरेगा के तहत 100 दिन काम दिए जाने का रिकॉर्ड बना है। वहीं, दूसरे नंबर पर आंध्र प्रदेश है, जहां इस दौरान 19908 परिवारों को 100 दिन काम दिया जा सका है।

भारत सरकार से मिले 1900 करोड़ रुपए

प्रदेश में लगातार बड़ी संख्या में मजदूर काम कर रहे हैं। पहले बारिश शुरू होते ही ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा का काम करीब-करीब बंद हो जाया करता था, लेकिन अब ऐसा नहीं हैं। शुक्रवार (5 अगस्त) को भी मनरेगा के तहत राज्य में 16 लाख 6 हजार मजदूर काम पर लगे रहे। मनरेगा मजदूरों की बड़ी संख्या इस समय राज्य में अमृत सरोवरों के विकास में लगी है। शुक्रवार को ही मनरेगा मजदूरों को मजदूरी मद में भारत सरकार से 1900 करोड़ रुपए आया है।

चार महीने में 3196.61 करोड़ मजदूरी में हुआ भुगतान

वर्ष 2022-23 में अप्रैल से जुलाई 3196.61 करोड़ रुपये।

सामग्री मद में अप्रैल से जुलाई तक 1950.53 करोड़ रुपये खर्च।

वर्ष 2021-22 में सामग्री के मद में सिर्फ 666.49 करोड़ भुगतान हुआ।

वर्ष 2021-22 में कुल 6596.37 करोड़ रुपये मजदूरी का भुगतान हुआ।

वर्ष 2021-22 सामग्री मद में 1813.63 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ।

रोजाना करीब 27 करोड़ मजदूरी मद में होता है खर्च

अपर आयुक्त मनरेगा योगेश कुमार का कहना है कि राज्य में प्रतिदिन मनरेगा के तहत मजदूरी में करीब 27 करोड़ रुपये खर्च होता है। पूरे साल में मनरेगा के तहत मजदूरी मद में 8500 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। परिवारों को 100 दिन काम देने का सबसे अधिक लाभ संबंधित परिवार के उस व्यक्ति को होता है जो अकेले 90 दिन काम कर लेता है। उन्हें श्रम विभाग की 15 योजनाओं का लाभ मिलने लगता है। बीते वित्तीय वर्ष में 7.35 लाख परिवारों ने 100 दिन काम किया था।

राज्य                    100 दिन काम करने वाले कुल परिवार

उत्तर प्रदेश                             34502

आंध्रप्रदेश                              19908

राजस्थान                               18401

मध्यप्रदेश                              17927

बिहार                                    6302

झारखंड                                 1459