मध्यप्रदेश के स्कूलों में पढ़ाया जाएगा हैप्पीनेस का पाठ

मध्यप्रदेश में स्कूलों में बच्चों को आनंद का पाठ पढ़ाया जाएगा। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने तैयारी कर ली है। राज्य आनंद संस्थान की ओर से एक हैप्पीनेस पर विशेश कोर्स तैयार किया गया है। इस कोर्स को कक्षा 9 वीं से कक्षा 12 वीं तक के विद्यार्थियों को अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाएगा।

प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य में आनंद संस्थान का गठन किया था। इस संस्थान का गठन ही लोगों को आनंद का पाठ पढ़ाना था। साथ ही अपनी परंपरा और संस्कृति से भी लोगों को जोड़ना था। इस संस्थान ने अब विद्यार्थियों को हैप्पीनेस का पाठ पढ़ाने की तैयारी की है। इसके पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि बीते कुछ वर्षों में यह देखने को मिला है कि बच्चों में आत्महत्या के मामलों में वृद्धि हुई है। इस वृद्धि को रोकने के लिए आनंद संस्थान ने यह कार्य किया है। इसके तहत राज्य आनंद संस्थान की ओर से यह हैप्पीनेस पर विशेष कोर्स तैयार किया गया है। जिसे प्रदेश के सभी विद्यालयों में अगले सत्र से ही लागू किया जाएगा। यह कोर्स 9 वीं से 12वीं के विद्यार्थियों के लिए यह कोर्स अनिवार्य होगा। गौरतलब है कि अभी देश में छत्तीसगढ़ और दिल्ली जैसे राज्यों में प्राइमरी स्तर पर इस तरह के कोर्स संचालित किए जा रहे हैं। उत्तरप्रदेश में भी अगले सत्र से इसे शुरू किए जाने की तैयारी है। मध्यप्रदेश भी इस सूची में शामिल होने जा रहा है।

पढ़ाया जाएगा नैतिक शिक्षा का पाठ

आनंद संस्थान द्वारा तैयार किए गए कोर्स के तहत विद्यार्थियों को नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाया जाएगा। इसके अलावा जीवन में आनंद का क्या महत्व है और जीवन में कैसे खुश रहा जा सकता है। खुश रहना क्यों जरुरी है। यह भी बच्चों को बताया जाएगा। साथ ही आनंद के लिए जीवन में हमारी क्या प्राथमिकता होनी चाहिए, आनंद के लिए परिवार, समाज, प्रकृति और स्वयं का जुड़ाव कितना महत्वपूर्ण है और इससे कैसे जुड़ा रहा जा सकता है, प्यार, ममता, श्रद्धा, गौरव, वात्सल्य, स्नेह क्या है और कैसे जीवन में यह आनंद का रंग घोलते हैं, इस पर भी चर्चा की जाएगी।  हैप्पीनेस के इस सब्जेक्ट में अलग-अलग गतिविधियों भी कराई जाएंगी।

इस तरह तैयार किया कोर्स

आनंद संस्थान द्वारा हैप्पीनेस का कोर्स तैयार करने के लिए संस्थान ने दिसंबर माह में एक पांच दिन का कार्यक्रम किया था। इस कार्यक्रम में सौ बच्चों ने भाग लिया था। कार्यक्रम में प्रत्येक दिन 6 घंटे विद्यार्थियो को सिर्फ हैप्पीनेस से जुड़े पाठ पढ़ाए गए और अलग अलग गतिविधियों से उन्हें अवगत कराया गया। इस तरह विद्यार्थियों में यह देखा गया कि वे कितने किताबी ज्ञान तक सीमित हैं और अन्य गतिविधियों में उनकी कितनी रूचि है। इस कार्यक्रम में जब बेहतर परिणाम आए तो इसको आधार बनाकर कोर्स तैयार करने की तैयारी संस्थान ने की।  इस कार्यक्रम में शिक्षकों को भी शामिल किया गया था। स्कूल शिक्षा विभाग के चुनिंदा 50 शिक्षकों की 5 दिन की कार्यशाला हुई थी, जिसमें शिक्षकों ने इसे समझा और बुक के ड्राफ्ट को लेकर जरूरी सुझाव दिए थे।

 

द्वारा राजेंद्र पाराशर पत्रकार भोपाल