गोवंश/पशुधन के शत-प्रतिशत संरक्षण के संबंध में मुख्यमंत्री जी के दिशा-निर्देश

● राज्य सरकार पशु संवर्धन, संरक्षण के लिए सेवाभाव के साथ सतत प्रयासरत है। गोवंश सहित सभी पशुपालकों के प्रोत्साहन के लिए सरकार द्वारा अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं। पात्र लोगों को इसका लाभ मिलना सुनिश्चित कराया जाए।

● प्रदेश में संचालित निराश्रित गोवंश की क्षमता विस्तार करने की आवश्यकता है। छोटे-छोटे निराश्रित आश्रय स्थलों की बजाय विकास खंड स्तर पर न्यूनतम 2000 गोवंश क्षमता का एक आश्रय स्थलों का विकास कराया जाए। आश्रय स्थल का परिसर न्यूनतम 30-50 एकड़ का हो। बड़ा परिसर गोवंश के लिए सुविधाजनक होता है। आश्रय स्थल का चयन करते समय बाढ़ प्रभावित/जल भराव वाले क्षेत्रों से परहेज करें। आश्रय स्थल में केयर टेकर हो, हरा-चारा, भूसा-पानी आदि की पर्याप्त उपलब्धता रहे। हर ब्लॉक में जल्द से जल्द भूमि का चयन कर लिया जाए।

● विकास खंड स्तर पर स्थापित होने वाले इन आश्रय स्थलों को वाराणसी में सफल गोबरधन योजना की तर्ज पर आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखें। गोबर, गोमूत्र आदि से विभिन्न उत्पाद तैयार होते हैं। गोशालाओं को आपस में लिंक कर ईंधन उत्पादन का बेहतर कार्य किया जा सकता है। इस संबंध में ठोस प्रयास किया जाना चाहिए।

● पशु नस्ल सुधार के कार्यक्रमों को बढ़ाये जाने की जरूरत है। विकास खंड पर स्थापित यह वृहद गो आश्रय स्थल इस कार्य के लिए उपयोगी हो सकते हैं।

● मोबाइल वेटेरिनरी यूनिट (MVU) के माध्यम से पशुपालकों के द्वार तक पशु चिकित्सा की सेवाएं उपलब्ध कराया जाए। जिले में पशुओं की संख्या के अनुसार 3-13 मोबाइल वेटेरिनरी यूनिट उपलब्ध कराया जाए। हर यूनिट में 01 पशु चिकित्सक, 01 पैरावेट और 01 ड्राइवर हों।

● पशुपालकों को आपातकालीन सहायता के लिए टॉल फ्री हेल्पलाइन नंबर 1962 का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। यहां कभी भी कोई भी पशुपालक चिकित्सक से परामर्श प्राप्त कर सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को इस सेवा के बारे में अधिकाधिक जानकारी दी जाए, ताकि लोग इस सेवा का लाभ उठा सकें। वेटेरिनरी कमांड कंट्रोल सेंटर के माध्यम से इस सेवा को प्रभावी बनाया जाए। इस संबंध में एक मोबाइल एप भी तैयार कराया जाए।

● पशु दुर्घटना में घायल होने पर त्वरित सहायता दी जानी चाहिए। पशुओं की सर्जरी के लिए व्यवस्था को और बेहतर किए जाने की जरूरत है। सड़क दुर्घटना/आकाशीय बिजली/बाढ़ आदि आपदा से प्रभावित पशु को चिकित्सालय तक पहुंचाने के लिए सभी जिलों में उचित वाहन उपलब्ध कराए जाएं।

● पशुपालकों को राज्य सरकार द्वारा दिए जा रहे मासिक ₹900 भत्ते का भुगतान नियमित अन्तराल पर कर दिया जाए। पशुपालकों/गोशालाओं को भुगतान की वर्तमान प्रक्रिया लंबी और जटिल है, इससे भुगतान में अनावश्यक देरी होती है। यथाशीघ्र इसका सरलीकरण किया जाए।

● गोवंश संरक्षण के उद्देश्य से एक राज्य स्तरीय आईटी बेस्ड पोर्टल का विकास किया जाए। इस पर सभी गोवंश का पंजीकरण कराया जाए। प्रत्येक गोवंश के टीकाकरण की पूरी जानकारी यहाँ उपलब्ध हो। हर एक गोवंश का पूरा विवरण ऑनलाइन उपलब्ध होना चाहिए।