उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अगले महीने अगस्त में पीएम गति शक्ति पोर्टल लॉन्च करेंगे। इसकी तैयारियां जोरों पर हैं। रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर से सभी विभागों के नोडल और टेक्निकल अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया है।

तीन माह में पूरा होगा शक्ति पोर्टल का काम

सीएम योगी ने कहा कि गतिशक्ति पोर्टल पर अब तक नहर, औद्योगिक पार्क, नदियां, जल संसाधन, खनन, पर्यटन, आर्थिक परिक्षेत्र, बाढ़ मानचित्र, वन आदि 17 विषयों को एकीकृत किया जा चुका है। पोर्टल को और उपयोगी बनाने के लिए भूमि अभिलेख, ड्रेनेज, बिजली ट्रांसमिशन, सड़क, सीवर लाइन, जलापूर्ति, बिजली के खंभे, ट्रैफिक लाइट पोल, बस टर्मिनल और सरकारी भवनों का विवरण भी अपडेट किया जाए। अन्य क्षेत्रों को भी पोर्टल पर लाने का काम तीन माह में पूरा कर लिया जाए।

गति शक्ति पोर्टल पर एकत्र किया जा रहा डेटा

इन्वेस्ट यूपी के सीईओ अभिषेक प्रकाश ने कहा कि आठ अगस्त तक जरूरी डाटा एकीकरण का कार्य पूरा कर लिया जाए। डाटा एकत्र करने का पूरा काम अगस्त माह में ही पूरा कर लिया जाए। उन्होंने बताया कि तीन प्रकार के डाटा प्रारूप यानी पाइंट, लाइन और पालीगान टाइप डाटा के माध्यम से विभाग अपनी जानकारी अपलोड कर सकते हैं। बिजली के खंभों को प्वाइंट डाटा के रूप में लगाया जाएगा, ट्रांसमिशन लाइनों और सड़कों को लाइन डेटा के रूप में और तालाबों, बांधों आदि से संबंधित जानकारी को पालीगान डाटा के रूप में अपलोड किया जाएगा।

सभी विभागों से संबंधित परियोजनाओं को अपडेट किया जाएगा

अभिषेक प्रकाश ने कहा कि पोर्टल पर सभी विभागों से जुड़ी परियोजनाओं को अपडेट किया जा रहा है। इससे प्रदेश का समग्र और व्यवस्थित विकास होगा। निवेशकों और विभागों को भी नए प्रोजेक्ट की प्लान‍िंग में आसानी होगी। विभागों के अधिकारियों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है, ताकि शत प्रतिशत शुद्धता के साथ धरातल पर हो रहे विकास कार्य लगातार अपडेट होते रहें। इसके अलावा तकनीकी सहयोग के लिए नौ विभागों के अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर लिया जा रहा है।

गति शक्ति पोर्टल के फायदे

  • उद्योगों की कार्य क्षमता बढ़ाने में मिलेगी मदद
  • स्थानीय विनिर्माताओं को मिलेगा बढ़ावा
  • उद्योगों के बीच बेहतर होने को लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
  • भविष्य के आर्थिक क्षेत्रों के निर्माण के लिए नई संभावनाओं के विकास को मदद मिलेगी।
  • इससे असंबद्ध योजनाओं की समस्या को दूर किया जा सकेगा।
  • थ्री डी विज्‍वलाइजेशन मैपिंग से कम लागत आएगी।
  • डैशबोर्ड आधारित पीरियाडिक मानिटरिंग, प्‍लानिंग टूल, और सैटेलाइट से मिली इमेजेस का भी सहारा लिया जाएगा।
  • इसके तहत सभी मंत्रालयों को एक लागिन आईडी दी जाएगी, जिसके जरिए वो डाटा को अपडेट कर सकेंगे। इस पर डाले गए सभी डाटा एक प्‍लेटफार्म पर इंटीग्रेट होंगे।