आगरा की 9 सीटों पर मजबूत है भाजपा की पकड़

5 सीटों पर नए चेहरे के साथ आगरा के चुनाव मैदान में भाजपा

दुनिया के पर्यटन मानचित्र पर चमकते आगरा का चुनावी समर रोचक हो चला है । ब्रज की इस भूमि पर भगवा खेमा एक बार फिर नए चेहरे और ऊर्जा के साथ मैदान में है तो सपा,रालोद गठबंधन भी जमीन तैयार करने में जुटा है। कभी बसपा के लिए मुफीद ही ताज नगरी में बसपा प्रमुख मायावती खास रणनीति पर काम कर रही हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में जिले की सभी सीटों पर केसरिया लहराया। भाजपा ने जिले की नौ विधानसभा सीटों पर विजय पताका फहराकर बसपा को बड़ा झटका दिया था। 2022 के चुनावी रण में भाजपा को बसपा के साथ-साथ सपा-रालोद गठबंधन से कड़ी चुनौती मिल रही है। हालांकि भाजपा भी पूरी तैयारी के साथ चुनावी रण में उतरी है।

भाजपा ने नौ में पांच सीटों पर प्रत्याशी बदले हैं। बसपा ने नये चेहरों पर दांव लगाया है। कांग्रेस ने युवा और पार्टी के पुराने चेहरे पर भरोसा जताया है। सपा-रालोद ने दूसरे दलों ने भी अधिकांश दूसरे दलों से आए प्रत्याशियों पर ही दांव लगाया है।
विधानसभा क्षेत्रवार स्थिति

एत्मादपुर : आलू पैदावार में अग्रणी इस विधानसभा क्षेत्र में आजादी के बाद 17 वीं बार चुनाव होने जा रहा है। इस विधानसभा क्षेत्र के मतदाता लगभग सभी प्रमुख दलों के प्रत्याशियों को जीत का स्वाद चखा चुके हैं। यहां के मतदाता कभी किसी एक दल के साथ लंबे समय तक खड़े नहीं रह सके हैं। भाजपा ने इस बार वर्तमान विधायक रामप्रताप सिंह चौहान का टिकट काटकर सपा से आए डा. धर्मपाल सिंह को प्रत्याशी बनाया है। वह इसी सीट से 2012 में बसपा के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं। सपा-रालोद गठबंधन ने भाजपा से आए डा. वीरेंद्र चौहान पर दांव लगाया है। दो क्षत्रीय प्रत्याशियों के बीच में बसपा ने बघेल वोटबैंक को ध्यान में रखते हुए सर्वेश बघेल का टिकट काटकर भाजपा से आए पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष प्रबल प्रताप सिंह उर्फ राकेश बघेल को चुनावी मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने भी बघेल कार्ड खेलते हुए युवा चेहरे के रूप में शिवानी बघेल को प्रत्याशी बनाया है।

2017 का परिणाम

– भाजपा के रामप्रताप सिंह चौहान चुनाव जीते थे। उन्हें 1,37,381 वोट मिले थे।

– दूसरे नंबर पर बसपा के डा. धर्मपाल सिंह रहे थे। उन्हें 90,126 वोट मिल थे।

– तीसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी की राजाबेटी बघेल रही थीं। उन्हें 43,925 वोट मिले थे।

छावनी: ताजमहल और आगरा किला जैसे दो विश्वदाय धरोहरों की धने छावनी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री रहे डा. जीएस धर्मेश को एक बार फिर से दांव लगाया है। बसपा ने अपने पुराने कार्यकर्ता भारतेंदु अरुण पर भरोसा जताया है। सपा ने बसपा से आए कुंवर चंद वकील को चुनावी मैदान में उतारा है। वह 2009 में बसपा के टिकट पर आगरा लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ चुके हैं। कुंवर चंद दूसरे नंबर पर रहे थे। कांग्रेस ने वाल्मीकि प्रत्याशी के रूप में सिकंदर वाल्मीकि पर भरोसा जताया है।

2017 का परिणाम

– भाजपा डा. जीएस धर्मेश चुनाव जीते थे। उन्हें 1,13,178 वोट मिले थे।

– बसपा के गुटियारी लाल दुबेश रहे थे। उन्हें 66,853 वोट मिले थे।

– तीसरे पर सपा की ममता टपलू रही थीं। उन्हें 64,683 वोट मिले थे।

दक्षिण: इस सीट से दो बार भाजपा का झंडा बुलंद कर चुके योगेंद्र उपाध्याय पर तीसरी बार भरोसा जताया है। बसपा ने भाजपा के ब्राह्मण प्रत्याशी के सामने ब्राह्मण प्रत्याशी के रूप में रवि भारद्वाज को उतारा है। सियासी संग्राम में उनका यह पहला अनुभव है। सपा ने मुस्लिम प्रत्याशी रिजवान रईसउद्दीन की टिकट काटकर इस सीट से विनय अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने भी भाजपा, बसपा की तरह से ब्राह्मण प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतारा है। यहां से कांग्रेस के अनुज शर्मा प्रत्याशी हैं। इस सीट पर तीन ब्राह्मण प्रत्याशी होने से रोचक मुकाबला होगा। सुनील कक्कड़, नसीर शाह का कहना है कि शहर की तीन सीटों में सबसे अधिक मुस्लिम मतदाता भी इसी क्षेत्र में हैं लेकिन किसी भी प्रमुख दल ने मुस्लिम चेहरे पर दांव नहीं लगाया है।

2017 का परिणाम

– भाजपा के योगेंद्र उपाध्याय चुनाव जीते थे। उन्हें 1,11,882 वोट मिले थे।

– बसपा के जुल्फिकार अहमद भुट्टो रहे थे। उन्हें 57,657 वोट मिले थे।

– कांग्रेस के नजीर अहमद तीसरे नंबर पर रहे थे। उन्हें 39,434 वोट मिले थे।

उत्तर: वैश्य बाहुल्य इस इस सीट पर 1985 से भाजपा का कब्जा है। यहां के मतदाताओं ने दूसरे दलों के प्रत्याशियों को नौ बार से कोई मौका नहीं दिया है। वैश्य बाहुल्य इस सीट पर भाजपा ने एक बार फिर विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल को चुनावी मैदान में उतारा है। सपा ने बसपा से आए ब्राह्मण प्रत्याशी ज्ञानेंद्र गौतम पर भरोसा जताया है। कांग्रेस ने भी वैश्य कार्ड खेलते हुए विनोद बंसल को फिर से प्रत्याशी बनाया है। बसपा ने इन सभी से हटकर शब्बीर अब्बास को मुस्लिम प्रत्याशी के रूप में उतारा है। वह कांग्रेस से आए बसपा में आए हैं। इस सीट पर अब तक किसी भी प्रमुख दल ने मुस्लिम प्रत्याशी को चुनाव नहीं लड़ाया है। वोटबैंक के हिसाब से मुस्लिम प्रत्याशी के लिए यह चुनावी क्षेत्र मुफीद नहीं है।

2017 का परिणाम

– भाजपा के जगन प्रसाद गर्ग चुनाव जीते थे। उन्हें 1,35,120 वोट मिले थे।

– बसपा के ज्ञानेंद्र गौतम दूसरे नंबर पर रहे थे। उन्हें 48,800 वोट मिले थे।

– सपा के अतुल गर्ग तीसरे नंबर पर रहे थे। उन्हें 36,739 वोट मिले थे।

ग्रामीण: इस क्षेत्र के अधिकांश युवाओं में सेना में भर्ती होने का जज्बा है। सुबह-शाम सड़क किनारे दौड़ लगाते युवाओं की टोलियां भी अब चुनावी रंग में रंगी हुई हैं। इस आरक्षित सीट पर भाजपा ने विधायक हेमलता दिवाकर का टिकट काटकर उत्तराखंड की राज्यपाल व आगरा की पूर्व मेयर बेबीरानी मौर्य को प्रत्याशी बनाकर सियासी संग्राम में कूदाया है। बसपा ने नये चेहरे के रूप में महिला प्रत्याशी किरन प्रभा केसरी को उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने अपने पुराने कार्यकर्ता व पूर्व में चुनाव लड़ चुके उपेंद्र सिंह एक बार फिर भरोसा जताया है। सपा-रालोद के गठबंधन वाली यह सीट रालोद के खाते में हैं। रालोद ने बसपा से आए महेश जाटव को प्रत्याशी बनाया है।

2017 का परिणाम

– भाजपा हेमलता दिवाकर चुनाव जीती थीं। उन्हें 1,29,887 वोट मिले थे।

– बसपा के कालीचरन सुमन दूसरे नंबर पर रहे थे। उन्हें 64,591 वोट मिले थे।

– कांग्रेस के उपेंद्र सिंह तीसरे नंबर पर रहे थे। उन्हें 31,312 वोट मिले थे।

फतेहपुर सीकरी: बुलंद दरवाजा और शेख सलीम चिश्ती की दरगाह के लिए विश्वविख्यात इस विधानसभा क्षेत्र से प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री चौधरी उदयभान सिंह का टिकट काटकर भाजपा ने पूर्व सांसद व इस सीट से दो बार विधायक रह चुके चौधरी बाबूलाल पर भरोसा जताया है। बसपा ने नये चेहरे के रूप में मुकेश कुमार राजपूत, कांग्रेस ने हेमंत चाहर और रालोद ने अपने पुराने कार्यकर्ता व पूर्व में चुनाव लड़ चुके बृजेश चाहर को प्रत्याशी बनाया है।

2017 का परिणाम

– भाजपा के चौधरी उदयभान सिंह चुनाव जीते थे। उन्हें 1,08,586 वोट मिले थे।

– बसपा के सूरज पाल दूसरे नंबर पर रहे थे। उन्हें 56,249 वोट मिले थे।

– रालोद के बृजेश चाहर तीसरे नंबर पर रहे थे। उन्हें 38,307 वोट मिले थे।

खेरागढ़: पथरीली पहाड़ियों से घिरे इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने विधायक महेश गोयल का टिकट काटकर बसपा से आए पूर्व विधायक भगवान सिंह कुशवाह को प्रत्याशी बनाया है। बसपा ने अपने पुराने कार्यकर्ता गंगाधर सिंह कुशवाह, रालोद ने बसपा से आए रौतान सिंह और कांग्रेस ने रामनाथ सिकरवार पर दांव लगाया है।

2017 का परिणाम

– भाजपा के महेश गोयल चुनाव जीते थे। उन्हें 93,510 वोट मिले थे।

– बसपा के भगवान सिंह कुशवाह दूसरे नंबर पर रहे थे। उन्हें 61,511 वोट मिले थे।

– कांग्रेस की कुसुमलता दीक्षित तीसरे नंबर पर रही थीं। उन्हें 23,088 वोट मिले थे।

फतेहाबाद: 1974 से इस सीट पर अब तक कोई प्रत्याशी लगातार दूसरी बार नहीं जीत सका है। इसको ध्यान में रखते हुए भाजपा ने इस बार विधायक जितेंद्र वर्मा का टिकट काटकर पूर्व विधायक छोटेलाल वर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है। छोटेलाल वर्मा पूर्व में भाजपा और बसपा की टिकट से चुनाव जीत चुके हैं। भाजपा ने नहीं पिछड़ी जाति के प्रत्याशी पर दांव लगाया है वहीं, बसपा ने क्षत्रीय प्रत्याशी के रूप में शैलेंद्र प्रताप सिंह उर्फ शैलू को प्रत्याशी बनाया है। सपा ने राजेश शर्मा का टिकट काटकर युवा चेहरे के रूप में रूपाली शर्मा और कांग्रेस ने होतम सिंह निषाद को प्रत्याशी बनाया है।

2017 का परिणाम

– भाजपा के जितेंद्र वर्मा चुनाव जीते थे। उन्हें 1,01,960 वोट मिले थे।

– सपा के डा. राजेंद्र सिंह दूसरे नंबर पर रहे थे। उन्हें 67,596 वोट मिले थे।

– बसपा के उमेश सैंथिया तीसरे नंबर पर रहे थे। उन्हें 35,050 वोट मिले थे।

बाह: इस विधानसभा सीट पर 11 बार भदावर राजघराना जीत का परचम लहराया चुका है। 1957 में रिपुदमन सिंह से शुरू हुए जीत के सिलसिले को उनके पुत्र अरिदमन सिंह और पुत्रवधु पक्षालिका सिंह ने जारी रखा। भाजपा ने विधायक पक्षालिका सिंह पर भरोसा जताते हुए उन्हें एक बार फिर प्रत्याशी बनाया है। बसपा ने नये चेहरे रूप में नितिन निषाद पर भरोसा जताया है। सपा ने अपने जिलाध्यक्ष व पूर्व विधायक मधुसूदन शर्मा और कांग्रेस ने अपनी पूर्व जिलाध्यक्ष मनोज दीक्षित को उतारा है।

2017 का परिणाम

– भाजपा की पक्षालिका सिंह चुनाव जीती थीं। उन्हें 80,567 वोट मिले थे।

– बसपा के मधुसूदन शर्मा दूसरे नंबर पर रहे थे। उन्हें 57,427 वोट मिले थे।

– सपा की हंसकली तीसरे नंबर पर रही थीं। उन्हें 46,885 वोट मिले थे।