उत्तर कोयल परियोजना नदी की सहायक उत्तरी कोयल नदी पर स्थित है। बिहार की सीमा पर स्थित उत्तर कोयल नदी पहले सोन नदी से मिलती है और अंत में गंगा नदी में समाहित हो जाती है। उत्तरी कोयल नदी अपनी सहायक नदियों के साथ बेतला राष्ट्रीय उद्यान के पश्चिमी भाग से होकर बहती है। परियोजना के पूर्ण हो जाने से बिहार और झारखंड के बड़े हिस्से में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो पाएगी। जबकि कुछ इलाकों में पेयजल की सुविधा भी उपलब्ध हो पाएगी।

50 साल बाद बिहार और झारखंड से जुड़ी उत्तरी कोयल जलाशय परियोजना को एक फिर धरातल पर उतरने की उम्मीद जगी है। केंद्र सरकार ने इस परियोजना को अगले तीन वर्षाे में पूरा करने का खाका तैयार किया है। हालांकि करीब छह वर्ष में इस परियोजना की अनुमानित लागत 808.49 करोड़ रुपये बढ़ गयी है।

1972 में शुरू हुई थी योजना
उत्तरी कोयल जलाशय परियोजना वर्ष 1972 में शुरू हुई थी। यह परियोजना वर्ष 1993 में नये वन संरक्षण अधिनियम (1980) के सख्ती से लागू होने के कारण रूक गयी थी। तब तक इसके तहत मोहम्मदगंज बराज का कार्य पूरा हो गया था।

सलाहकार समिति की 150वीं बैठक में मंजूरी
नई दिल्ली में जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग की सलाहकार समिति की विगत 19 सितंबर को हुई 150वीं बैठक में इस पर सहमति दी गई। संशोधित लागत समिति (आरसीसी) ने दिसंबर 2021 में आठवीं बैठक में 3199.55 करोड़ रुपये के अनुमानित लागत की सिफारिश की थी। इसमें 31 मार्च 2016 तक हुआ 769.09 करोड़ रुपये का खर्च तथा शेष कार्य को पूरा करने के लिये 2,430.76 करोड़ रूपये लागत अनुमान शामिल है तथा इस परियोजना को 2024-25 तक पूरा किया जाना है। परियोजना की संशोधित लागत समिति ने भी 15 जुलाई 2022 को इन अनुमानों पर विचार किया था। वहीं, संशोधित लागत समिति (आरसीसी) की वर्ष 2016 में हुई छठी बैठक में 2016-17 के मूल्य स्तर पर 2,391.36 करोड़ रुपये के अनुमानित लागत की सिफारिश की गई थी । इसमें परियोजना पर 31 मार्च 2016 तक हुआ 769.09 करोड़ रुपये का खर्च तथा शेष कार्य को पूरा करने के लिये 1,622.27 करोड़ रूपये लागत अनुमान शामिल है ।

भूमि अधिग्रहण का कार्य समय पर जरूरी
अतिरिक्त सचिव ने कहा कि गया सहायक नदी के संबंध में समय पर भूमि अधिग्रहण का कार्य पूरा करना चाहिए क्योंकि यह परियोजना के लिये अहम है। रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि परियोजना को समय पर पूरा करने के लिये भूमि अधिग्रहण गतिविधि महत्वपूर्ण है। अभी बिहार सरकार का 294.71 हेक्टेयर भूमि तथा झारखंड सरकार को 16.62 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित करना बाकी है।

झारखंड के लिए 117.58करोड़ का पैकेज
इसमें कहा गया है कि झारखंड सरकार के प्रतिनिधि में कहा कि 117.58 करोड़ रुपये का एकमुश्त पैकेज जारी होने के बाद सुरक्षा से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं होगा । वहीं, बिहार सरकार के प्रतिनिधियों ने कहा कि गया खंड में भूमि अधिग्रहण का कोई मुद्दा नहीं होगा और कार्य समय पर पूरा हो जायेगा ।