लखनऊ। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की अध्यक्षता में नाबार्ड की तृतीय हाई पावर कमेटी (एचपीसी) की बैठक आहूत की गई, जिसमें नाबार्ड तथा उत्तर प्रदेश सरकार से संबन्धित उच्च अधिकारियों ने प्रतिभाग किया।

अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने कहा कि सभी सम्बन्धित विभाग वर्ष की शुरुआत से ही परियोजनाओं की कार्ययोजना का अनुमोदन कराकर अगस्त माह तक नाबार्ड को प्रेषित करें, जिससे राज्य ज्यादा से ज्यादा ग्रामीण अवसंरचना विकास निधि (आरआईडीएफ) का लाभ ले सके और इस वर्ष के लक्ष्य 3000 करोड़ रुपये से बढ़कर अगले वर्ष 4000 करोड़ रुपये प्राप्त कर सके।

मुख्य सचिव ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में आरआईडीएफ के अंतर्गत परियोजनाओं की स्वीकृति के लिए प्रस्तावित लक्ष्य 3000 करोड़ रुपये के सापेक्ष लोक निर्माण विभाग एवं सिंचाई विभाग के नाबार्ड से वित्त पोषित परियोजनाओं की मंजूरी और संवितरण की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि दोनों विभागों द्वारा 3000 करोड़ रुपये के लक्ष्य को प्राप्त करना आवश्यक है।

इसके अलावा पशुपालन जैसे अन्य विभागों की परियोजनाओं की भी समीक्षा की गई। शिक्षा और स्वास्थ्य विभागों से अपेक्षित सामाजिक क्षेत्र की परियोजनाओं पर भी चर्चा की गई।

इससे पूर्व, नाबार्ड के मुख्य महाप्रबन्धक संजय कुमार दोरा द्वारा अवगत कराया गया कि दिनांक 11.01.2023 को नाबार्ड की परियोजना स्वीकृति समिति द्वारा राज्य की 2100 नलकूप की परियोजना के लिए 762.09 करोड़ रुपये का अनुमोदन किया है, जिसको शामिल करके नाबार्ड द्वारा राज्य को ग्रामीण अवसंरचना विकास निधि (आरआईडीएफ़) के अंतर्गत, वर्ष 2022-23 के लिए कुल 1480 करोड़ रुपये स्वीकृत किया जा चुका है। इसी के साथ ही चालू परियोजनाओं मे विभागों द्वारा प्रेषित दावों के सापेक्ष नाबार्ड द्वारा 883 करोड़ रुपये का संवितरण किया जा चुका है। मुख्य सचिव द्वारा विभागों को वर्ष 2022-23 में 2000 करोड़ रुपये संवितरण के लक्ष्य को हासिल करने का निर्देश दिया गया।

बैठक में अपर मुख्य सचिव वित्त प्रशांत त्रिवेदी, अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी, प्रमुख सचिव सिंचाई अनिल गर्ग, सचिव लोक निर्माण अजय चौहान, महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद सहित नाबार्ड व सम्बन्धित विभागों के वरिष्ठ अधिकारीगण आदि उपस्थित थे।