आखिर कब मिलेगा यूपी को अपना गृहमंत्री...
लखनऊ। यूपी में एक बार फिर भाजपा के प्रचंड बहुमत की सरकार ने जनता का आशीर्वाद प्राप्त कर लिया। इसके साथ ही यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी कैबिनेट की अंतिम बैठक कर इस भारी बहुमत के लिए प्रदेश की जनता का आभार जताया। अब वह कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में कार्य कर रहे हैं। सूत्रों का मानना है कि 15 मार्च को मुख्यमंत्री शपथ ले सकते हैं। इसी क्रम में अब सत्ता की नई बिसात बिछाने के लिए सियासी गुणा गणित बैठाई जा रही है। अब कौन प्रदेश में ताकतवर मंत्री होगा इसकी रस्साकशी तेज हो गई है नए जीते विधायकों में केंद्रीय नेतृत्व के सामने अपनी दावेदारी पूरी दमदारी से पेश की जा रही है। हर बार की तरह उत्तर प्रदेश की जनता इस बार भी अपने गृह मंत्री को तलाशी कर रही है। सवाल यही है कि क्या हर बार की तरह इस बार भी उत्तर प्रदेश को अपना गृहमंत्री नहीं मिलेगा। गौरतलब है कि तमाम विभागों को अपना मंत्री मिलेगा जिनमें कृषि सिंचाई ऊर्जा पीडब्ल्यूडी पंचायती राज समेत कई महत्वपूर्ण विभाग इनमें शामिल है। परंतु अब तक उत्तर प्रदेश को पिछले चार सरकारों से भी ज्यादा समय से गृहमंत्री नहीं मिल पाया, जबकि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने या पूर्व में जो भी मुख्यमंत्री रहे उन्होंने यह विभाग अपने पास ही रखा। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में अभी तक केवल दो ही गृहमंत्री रहे है। पहले 1985-86 में वीर बहादुर की सरकार में सैदुज्जमा इसके बाद की यूपी की नारायण दत्त तिवारी सरकार की कैबिनेट में गोपीनाथ दीक्षित एवं तीसरी भी एनडी तिवारी की 1988-89 की सरकार में सुशीला रोहतगी यह तीनों ही यूपी सरकार में ग्रहमंत्री थे। इसके बाद से ही एनडी तिवारी की मुलायम सिंह के 89 की सरकार में से कैबिनेट गृहमंत्री बनाए जाना बंद हो गया और सत्ता का केंद्रीकरण शुरू हो गया। कुछ समय के लिए बीच में कल्याण सिंह की भाजपा सरकार ने इस मिथक को तोड़कर गृह विभाग में राज्यमंत्री बनाने का चलन शुरू किया। उन्होंने अपनी सरकार के दो कार्यकाल में दो गृह राज्य मंत्री बनाए पहले बालेश्वर त्यागी एवं दूसरे रंगनाथ मिश्रा जो 2002 तक गृह राज्य मंत्री रहे। हालांकि उस दौर में भी गृहमंत्री बड़े और नीतिगत फैसले बिना मुख्यमंत्री की सलाह व निर्देश के नहीं लेते थे। इसके बाद की किसी सरकारों ने चाहे भाजपा-बसपा की गठजोड़ सरकार रही हो या बसपा कि अकेले बनी सरकार, सपा की अखिलेश सरकार व योगी आदित्यनाथ की सरकार रही हो किसी ने भी गृह मंत्री बनाना मुनासिब नहीं समझा। प्रदेश की कमान और कानून व्यवस्था के मुद्दे पर अक्सर तमाम सरकार घिरती रही हैं। इसी कारणवश कोई भी मुख्यमंत्री नहीं चाहता कि सत्ता का विकेंद्रीकरण हो और ताकत दूसरी जगह जाए। जिसके गलत इस्तेमाल पर उसकी सरकार पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़े।
गृहमंत्री पर होती है कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में गृह राज्य मंत्री के पास प्रदेश की कानून व्यवस्था, पुलिस, पीएसी, सीआईडी, इंटेलिजेंस समेत कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी रहती है। इनसे संबंधित अफसरों के तबादले पोस्टिंग आदि की जिम्मेदारी भी गृह मंत्री के पास ही रहती थी। पूर्व में गृह मंत्री के पास हॉटलाइन हुआ करती थी जिससे वह जनपद के किसी भी एसपी व आईजी स्तर के अधिकारियों से सीधे बात कर सकते थे। परंतु अब यह हॉट लाइन की व्यवस्था सिर्फ मुख्यमंत्री के पास ही रहती है।