मजबूत पिच पर दमदार खेले योगी

अति आत्मविश्वास में डूबी अखिलेश की नैया

लखनऊ। एक मजबूत पिच और मजबूत सहयोग का ऐसा धरातल जिस पर देश में सबसे बड़े नेता और सबसे बड़े दल के चाणक्य उनके पीछे खड़े थे। अकेले मोदी ऐसा नाम है जिसने देश में लगातार अपने चेहरे के बूते संगठन और सरकार दोनों को साधे रखा। वही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी भारतीय जनता पार्टी व पूरे संघ परिवार में अपनी उपयोगिता साबित कर दी। योगी आदित्यनाथ ने भी दिखा दिया कि वह भी मास्टर बल्लेबाज हैं। बल्कि उन्होंने इस चुनाव में यह साबित कर दिया कि वह ऑलराउंडर खिलाड़ी हैं। उनकी गुगली से अखिलेश-मायावती एवं कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष क्लीन बोल्ड हो गया। हालांकि इसके लिए जो मजबूत जमीन पार्टी स्तर पर तैयार की गई थी उसका पूरा लाभ योगी आदित्यनाथ में उठाया। उत्तर प्रदेश के चुनावों में भाजपा को सबसे बड़ा सहयोग मोदी की केंद्रीय योजनाओं और अमित शाह जैसे कुशल संगठन कर्ता के रूप में मिला। जिसकी वजह से योगी आदित्यनाथ ने खुलकर बैटिंग की और अपने तरीके से चुनावों में दिशा और दशा तय की। जिसका नतीजा हुआ कि मुख्यमंत्री ने यूपी में अकेले भाजपा ने 255 सीटों का प्रचंड जनादेश हासिल कर लिया। यही नहीं भारतीय जनता पार्टी ने अपना दल 12 सीटें व निषाद पार्टी को 6 सीटों पर बड़ी जीत दिलाकर बसपा कांग्रेस जैसे दलों से आगे लाकर खड़ा कर दिया। प्रदेश में कोरोना काल के समय से लेकर अब तक राशन वितरण की चरणवार व्यवस्था का कार्यक्रम, किसान सम्मान निधि, शौचालय, ग्रामीण स्तर पर आवास, महिला सम्मान, स्वयं सहायता समूह आदि जैसी तमाम योजनाओं की बड़ी दीवार योगी के पीछे खड़ी थी। इसका फायदा उठाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में ताबड़तोड़ जनसभाएं की जनता से सीधे संवाद स्थापित कर उन्हें विश्वास दिलाया कि अगर वह पुनः सरकार में आते हैं तो इसी तरह उनकी हर समस्याओं को सुलझाते रहेंगे। इस पर जनता ने अपना पूरा विश्वास भी जताया। ऐसे समय में राज्य में 5 साल सरकार चलाने के बावजूद बिना एंटी इनकंबेंसी के चुनाव में जबरदस्त बहुमत के साथ दोबारा जीतकर सत्ता हासिल करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संगठन के कार्य में बिना हस्तक्षेप के जिन प्रत्याशियों को पार्टी स्तर पर घोषित किया गया, उनके पक्ष में भी जमकर चुनाव प्रचार किया। कई विधायकों को दोबारा टिकट मिला उनके क्षेत्र में भी योगी आदित्यनाथ ने डबल इंजन की सरकार का हवाला देकर जनता से उन्हें जिताने की अपील की। परिणाम स्वरूप वह विधायक भी जीते जो हारने के कगार पर थे। इसकी तुलना में अगर समाजवादी पार्टी को उनकी तैयारियों के हिसाब से देखा जाए तो यह सारी बातें उनके पास भी थी पूर्व में किए गए विकास कार्यों बड़े नेताओं का समर्थन मुलायम सिंह जैसे जनाधार ई नेता का बड़ा जनाधार और एक बड़ा वोट बैंक अखिलेश यादव के पीछे खड़ा था। परंतु इसके बावजूद अखिलेश यादव ने इन सभी को अपनी राजनीति के केंद्र बिंदु में नहीं रखा। उन्होंने खुद अकेले ही चुनाव प्रचार किया इतनी बड़ी पार्टी में वह अकेले स्टार प्रचारक रहे जबकि उनके यहां कद्दावर नेताओं की लंबी फेहरिस्त थी। शिवपाल जैसे बड़े संगठन के माहिर खिलाड़ी कौन भी उन्होंने एक सीट तक सीमित रखा। उन्हें इस बात का विश्वास था कि वो अकेले ही इस चुनाव में बहुमत हासिल कर लेंगे शायद उन्होंने अति आत्मविश्वास के चलते एक बड़ा अवसर खो दिया।