इस्पात नगरी भिलाई के इंटरनेशल तालपुरी निवासी और प्रख्यात पर्वतारोही सविता धपवाल ने 13वीं बार हिमालय की दुर्गम चोटियां फतह कर एक अनूठा कीर्तिमान बनाया है। देश की आजादी के अमृत महोत्सव को रेखांकित करते हुए पद्मभूषण बछेंद्री पाल के नेतृत्व में 50 पार उम्र की देश भर की 11 महिलाओं का यह समूह हिमालय की विभिन्न चोटियों को फतह कर यहां देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहरा कर लौटा है।

140 दिन के इस जोखिम भरे सफर में इन महिलाओं ने 35 खतरनाक दर्रों को पार करते हुए 4977 किमी का सफर तय किया। इन महिलाओं ने अपने इस अभियान के माध्यम से बच्चों की शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने और सेहतमंद भारत (फिट इंडिया) का संदेश फैलाने में अपना योगदान दिया।

अभियान के सफलतापूर्वक संपन्ना होने के उपरांत महिलाओं के इस समूह ने देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु,उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर सहित विभिन्न मंत्रियों व प्रमुख लोगों से मुलाकात की।

सविता धपवाल यहां भिलाई स्टील प्लांट के शिक्षा विभाग में पदस्थ हैं। 1987 से अब तक वह 8 प्रमुख पर्वतारोही अभियान में हिस्सा ले चुकी हैं। वहीं इसके पहले 12 मर्तबा हिमालय की विभिन्ना चोटियों की ट्रैकिंग कर चुकी हैं । इंटरनेशल कालोनी तालपुरी में निवासरत सविता के पति हुकुम सिंह धपवाल भिलाई स्टील प्लांट के ट्रांसपोर्ट एंड डीजल विभाग में जनरल मैनेजर हैं।

50 पार इन 11 महिलाओं का यह ट्रांस हिमालयन अभियान मुख्य रूप से टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन (टीएसएएफ) द्वारा द्यफिट इंडियाद्य के बैनर तले केंद्र सरकार के खेल और युवा मामलों के मंत्रालय के सहयोग से आयोजित किया गया था। जिसमें भारतीय सेना इस पूरे सफर में सुरक्षा के लिहाज से सहभागी रही।

इस टीम में बछेंद्री पाल (उत्तराखंड), चेतना साहू (पश्चिम बंगाल), सविता धपवाल (छत्तीसगढ़), गंगोत्री सोनेजी (गुजरात), पायो मुर्मू (झारखंड), सुषमा बिस्सा (राजस्थान), कृष्णा दुबे (उत्तर प्रदेश), बिमला देवस्कर ( महाराष्ट्र), वसुमति श्रीनिवासन (कर्नाटक), एल. अन्नापूर्णा (झारखंड) और शामला पद्मनाभन (कर्नाटक) शामिल थीं।

टीम का नेतृत्व 1984 में एवरेस्ट फतह करने वाली पहली भारतीय महिला, महान पर्वतारोही और पद्म भूषण बछेंद्री पाल कर रही थीं। वहीं इस टीम में एवरेस्ट फतह करने वाले दो और पर्वतारोही शामिल थे।जिसमें तेनजिंग नोर्गे एडवेंचर अवार्डी सविता धपवाल ने 1993 में अविभाजित मध्यप्रदेश से पहली महिला प्रतिभागी के तौर पर माउंट एवरेस्ट को फतह किया था।

सविता धपवाल ने भिलाई लौटने के बाद बताया कि भिलाई से उनकी रवानगी पर भिलाई स्टील प्लांट के डायरेक्टर इंचार्ज अनिर्बान दासगुप्ता,डायरेक्टर पर्सनल केके सिंह व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने शुभकामनाएं दी। नई दिल्ली में सेल चेयरमैन सोमा मंडल से भी सौजन्य मुलाकात की। इसके बाद वास्तविक ट्रैकिंग ऐतिहासिक दांडी मार्च शुरू होने की तिथि की यादगार के तौर पर 12 मार्च से भारत-म्यांमार सीमा स्थित पंगसाउ दर्रे से शुरू हुई।

कारगिल विजय दिवस समारोह के साथ खत्म हुआ अभियान

सविता धपवाल ने बताया कि टीम सुरखेत बाई रोड के रास्ते जुमला से महिंद्रा नगर की यात्रा करके भारत पहुंची। भारतीय सेना ने महिंद्रा नगर (सीमा के भारतीय पक्ष) में उनका स्वागत किया। टीम ने स्पीति घाटी से होते हुए लेह लद्दाख में प्रवेश किया और फिर कारगिल पहुंची। यहां 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाने के लिए अभियान का समापन द्रास सेक्टर कारगिल में हुआ। यहां टीम ने द्रास सेक्टर कारगिल में कारगिल युद्ध स्मारक में कारगिल विजय दिवस समारोह में भाग लिया।

श्मशान घाट में रुकना पड़ा

सविता धपवाल ने बताया कि पर्वतारोहण के क्षेत्र में ऐसा पहली बार हुआ जब 50 पार की 11 महिलाएं बारिश और बर्फबारी के इस विपरीत मौसम के बावजूद हिमालय की दुर्गम चोटियों पर पांच महीना तक ट्रैकिंग करती रहीं।उन्होंने बताया कि अभियान का एक लक्ष्य कम से कम खर्च में ट्रैकिंग पूरी करना था। इसलिए कई मौके ऐसे आए जब रास्ते में कोई अन्य साधन न होने पर श्मशान घाट में रुकना पड़ा। उन्होंने बताया कि समूह की महिलाओं प्रतिदिन औसतन 13.5 घंटे पैदल चलती रहीं।