पर्यावरण दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री जी का ग्राम पंचायतों को संबोधन के मुख्य बिंदु

★ पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा पंचायती राज विभाग के सहयोग से आयोजित ‘कॉन्फ्रेंस ऑफ पंचायत-2022’ में आपसे संवाद बनाकर मुझे अत्यन्त प्रसन्नता हो रही है।

★ विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आप सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। पर्यावरण है तो प्रकृति है, प्रकृति है तो जीव सृष्टि भी है। इसलिए जीव सृष्टि की सुरक्षा के लिए आवश्यक है कि सभी लोग पर्यावरण के प्रति जागरूक हों।

★ ग्राम पंचायतें हमारी व्यवस्था की आधारभूत इकाई है। ऐसे में अगर हम इन ईकाई को मजबूत कर लें, तो बहुत सारी चीजें आगे बढ़ती दिखाई देंगी। शासन स्तर पर बड़ी-बड़ी योजना बनाते रहें और आधारभूत ईकाई उससे अलग रहे, तो उन योजनाओं को शासन स्तर पर बनाने का कोई परिणाम नहीं दिखेगा। इसलिए सबसे छोटी इकाई को इसके साथ जोड़ते हुए इस महत्वपूर्ण कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया है।

★ देश के अंदर सबसे अधिक ग्राम पंचायतें उत्तर प्रदेश में हैं। यूपी में 70 फीसदी आबादी अभी भी ग्रामीण अंचल में निवास करती है। पिछले पांच वर्ष में सरकार ने इस दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सरकार ने 100 करोड़ पौधरोपण का कार्यक्रम संपन्न किया है। 2017 में सरकार ने वन महोत्सव पर पौधरोपण के कार्यक्रम को अपने हाथों में लिया था, उस वक्त हमारे पास क्षमता महज पांच करोड़ पौधरोपण की ही थी। आज प्रदेश में 35 करोड़ पौधरोपण की क्षमता है। जलवायु परिवर्तन पर अंकुश लगाने वाले ऐसे पौधरोपण को प्रोत्साहित करना होगा।

★ हमने अपने हर एक कार्यक्रम को अपनी परंपरा से जोड़ कर देखा है। हर वनस्पति को हमने अपने धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजनों के साथ जोड़ा है। हमारी मान्यता रही है कि कोई भी वनस्पति ऐसी नहीं जो औषधिगुणों से भरपूर न हो। सबके बावजूद भौतिकता से पीछे जाने वाली मानवता किस हद तक स्वयं के अस्तित्व के साथ खिलवाड़ कर रही है। आज जलवायु के परिवर्तन के दुष्परिणामों को हम देख सकते हैं। जीव और जंतु के सामने आज भारी संकट खड़ा हुआ है। असमय सूखा और ओलावृष्टि हो जाना, ऐसे तमाम चीजें आज हमें देखने को मिल रही हैं।

★ प्रदेश सरकार ने पिछले 5 वर्षों में 100 करोड़ से ज्यादा का पौधरोपण किया है। प्रदेश में 100 वर्ष से ऊपर के जितने भी वृक्ष हैं उन्हें विरासत वृक्ष के रूप में उनकी व्यवस्थित संरक्षण की भी कार्ययोजना लागू की गई है। सरकार ने जो 100 करोड़ पौधे रोपे हैं उनकी सुरक्षा करना, किन्हीं कारणों से कोई पौधा नष्ट हुआ है, उसे दुबारा लगाएं और इसके क्लस्टर को विकसित करें। विरासत वृक्षों को संरक्षित करने के अभियान को और तेज करना चाहिए। नेचुरल फार्मिंग को हमें बढ़ावा देना चाहिए। गंगा के किनारे बागवानी खेती को प्रोत्साहित करना। बुंदेलखंड में खेती के लिए इस बार के बजट में भी हमने व्यवस्था की है। गौ आधारित खेती को और प्रोत्साहित करें।

★आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने हमें हर ग्राम पंचायत में दो अमृत सरोवर बनाने का संकल्प दिया है। ग्राम प्रधानों और ग्राम प्रतिनिधि से हमारी अपील होगी कि सभी लोग दो-दो अमृत सरोवर बनाएं, एक ऐसा सरोवर जो शुद्ध जल के एकत्रीकरण का माध्यम बने। अमृत सरोवर के चारों ओर व्यापक पैमाने पर पौधरोपण करना। अमृत सरोवर का जल कहीं भी दूषित न होने पाए, इसकी व्यवस्था की जाए। अमृत सरोवर के चारों ओर बागवानी लगाना और राष्ट्रीय ध्वज को लगाने का काम किया जाना, ताकि राष्ट्रीय पर्वों पर राष्ट्रीय ध्वजों को गांव के किसी महानुभाव से ध्वजारोहण की कार्रवाई से जोड़ना, जिसका व्यक्ति भावी पीढी के प्रेरणादायी हो। मॉर्निंग वॉक पर लोग प्राणायाम जैसी क्रियाओं का लाभ ले सकें, ऐसी व्यवस्थाओं को भी जोड़ा जाना चाहिए।

★ स्वच्छ भारत मिशन के कारण गांवों में बहुत सारी बीमारियां समाप्त हुई हैं। पांच साल पहले तक गांवों की स्थिति क्या थी, आप सबको पता है लेकिन आज गांव की सड़कें साफ सुथरी हैं। आज गांवों में बीमारियों पर अंकुश लग सका है। इंसेफ्लाइटिस और कालाजार जैसी बीमारियों को उत्तर प्रदेश रोकने में सफल हुआ है, लेकिन अभी भी हमें एक लंबी दूरी तय करनी है।

★ संतकबीरनगर जनपद के मगहर में मध्यकालीन संत कबीरदास जी की निर्वाण स्थली है। मगहर से होते हुए एक छोटी सी आमी नदी बहती है। पांच वर्ष पहले तक इस नदी की स्थिति क्या थी, सब जानते हैं। नदी इस कदर दूषित थी कि नदी के दोनों तरफ होने वाली खेतीबाड़ी पूरी तरह से नष्ट हो गई थी, लेकिन आज इस नदी साफ सुथरी बह रही है। अगर आमी नदी निर्मल हो सकती है, तो हम गांव के तालाबों को साफ सुथरा क्यों नहीं कर सकते हैं। हर ग्राम पंचायत कर सकती है। गांव की आत्मनिर्भरता का माध्यम यह तालाब बन सकते हैं।

★ प्रत्येक गांव में खाद का गड्ढा बनाया जाना चाहिए। इससे सॉलिड वेस्ट को उस गड्ढे में डालकर साल भर बाद उसकी पैकिंग कर उसकी मार्केटिंग की जा सकती है। गांव में खुद की एक नर्सरी विकसित की जानी चाहिए। लोगों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। सरकार ने व्यवस्था बनाई है कि बरसात के मौसम में कुम्हार जाति से जुड़े हुए लोगों को गांवों के तालाब की मिट्टी उपलब्ध कराएंगे। ऐसे में जल संरक्षण के लिए गांवों में आसानी से तालाब तैयार हो जाएगा।

★ सभी 58 हजार ग्राम पंचायतों से अपील है कि वो उसे आदर्श ग्राम पंचायत बनाएं। आज परौंख गांव आदर्श गांव हैं। गांव के सभी परिषदीय विद्यालयों का रंगरोगन, गांव में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था आदि की गई है। सभी ग्राम पंचायतें शासन की अनेक योजनाओं के साथ खुद को जोड़ने का काम करें। सरकार हर ग्राम पंचायत को शासन की योजनाओं से जोड़कर प्रधानमंत्री जी के आत्मनिर्भर गांव और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज की परिकल्पना को साकार करने का काम कर रही है।

★ ग्राम पंचायतों को अपने स्तर पर जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए हर स्तर पर जागरुकता का हिस्सा बने। अमृत महोत्सव वर्ष में हम सबका प्रयास होना चाहिए कि अमृत सरोवर के चारों ओर व्यापक स्तर पर पौधरोपण करें। पीपल, पाकड़, बरगद जैसे वृक्षों को लगा सकते हैं जो गांव के लोगों को छाया दे सके। मेरा गांव, मेरी धरोहर का लक्ष्य मानकर अगर हम आगे बढ़ेंगे तो जलवायु परिवर्तन पर अंकुश लगाने की सफलता हम सब को प्राप्त हो सकेगी। हम सबको इस दिशा में सामूहिक प्रयास करना चाहिए।