उतरौला (बलरामपुर)। क्षेत्र एक बार फिर सूखे की चपेट में आता जा रहा है। ऐसे में यहां के अन्नदाता किसान परेशान होते जा रहे हैं कि बादल उम्मीद लेकर आते हैं और फिर बिना बरसे चले जाते हैं। चटकती धूप के साथ ही किसानों की आशाएं भी दम तोड़ती जा रही हैं जबकि देश में अलग अलग जगहों पर बारिश ने कहर ढा रखा है। क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों के किसानों की माने तो पिछले वर्ष उम्मीद से अधिक वर्षा हुई थी और किसानों को कम लागत में अच्छा मुनाफा हुआ था। ऐसे में यह उम्मीद जगी कि इस साल भी अच्छी बारिश होगी लेकिन दुर्भाग्य है कि बारिश कम होने से सूखे की आशंकाएं ज्यादा बढ़ गई हैं।
क्षेत्र के किसान मेवालाल, वेद प्रकाश, नीब्बर, बफाती आदि का कहना है कि पिछले साल की उम्मीद लगाकर इस बार धान की रोपाई भरपूर की गई है। पर बीते 20 दिन से पर्याप्त बारिश नहीं हुई है। तेज धूप के चलते धान की फसल सूख रही है। आजकल हाइटेक टेक्नोलाजी के चलते बारिश का मोबाइल से अनुमान लगाया जा रहा है लेकिन वह भी झूठा साबित हो रहा है। वहीं डीजल के आसमान छूते भाव ये कतई इजाजत नहीं देते कि खेतों की सिचाई की जा सके। किसान मुहीबुल्ला व राजकुमार बताते हैं कि निजी पंपिंग सेट से किसी तरह सिचाई हो भी जाती लेकिन चार दिन बाद फिर खेत सूखने लग जाते हैं इसलिए संभव नही कि धान की सिचाई निजी संसाधनों के बल पर की जाए।