देहरादून :मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड में औद्योगिक विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा औद्योगिक नीति में उद्योगपतियों के सुझावों को भी शामिल किया गया है। सरकार का प्रयास है कि राज्य में अधिक से अधिक निवेश हो तथा पूर्व से स्थापित उद्योगों को और बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हो। गुरूवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में एग्रो फूड प्रोसेसिंग कॉन्क्लेव 2022 में कृषि, उद्यान, फूड प्रोसेसिंग से जुड़े देश एवं विदेश के उद्योगपतियों के साथ राज्य में निवेश की संभावनाओं पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में लॉजिस्टिक पॉलिसी शुरू की जा रही है।

सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड की भूमि संस्कृति और आध्यात्म का केंद्र है। प्राकृतिक सौंदर्य एवं बेहतर मानव संसाधन दोनों उत्तराखण्ड के पास हैं। राज्य में औद्योगिक संस्थानों को हर प्रकार सुविधा देने के प्रयास किये जा रहे हैं। राज्य में हवाई, रेल एवं संड़क कनेक्टिविटी का तेजी से विस्तार हो रहा है। इसके लिए औद्योगिक संस्थानों के प्रतिनिधियों से समय-समय पर संवाद स्थापित किये गये हैं। राज्य में औद्योगिक विकास के लिए जो महत्वपूर्ण सुझाव मिले हैं, उन्हें राज्य की औद्योगिक नीति में शामिल किया गया है। इस कॉन्क्लेव को “एडवांटेज उत्तराखण्ड“ हेतु समर्पित किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों में भी लघु उद्योगों के लिए अनेक संभावनाएं हैं। राज्य में बागवानी, जैविक खेती, औषधीय व सुगंधित पौधों की खेती के क्षेत्र में अनेक संभावनाएं हैं। राज्य में फार्मास्युटिकल उद्योग, ऑटोमोबाइल उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग आज अच्छा कारोबार कर रहा है। राज्य ने हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर, एक फार्मास्युटिकल पार्क और एक अरोमा पार्क स्थापित किया है।

कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि देश के विकास में कृषि का बहुत बड़ा योगदान है। उत्तराखण्ड में जैविक एवं प्राकृतिक खेती को अधिक बढ़ावा दिया जा रहा है। उद्योगों के विकास के लिए राज्य में विभिन्न अनुमतियों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम लागू है। 11 फसलों को जी.आई. टैग किया जा रहा है। कीवी, सेब एवं मोटे अनाजों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए अनेक प्रयास किये जा रहे हैं।

पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में आजीविका का सबसे बड़ा संसाधन पशुपालन, दुग्ध एवं इससे संबंधित उत्पाद हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में डेयरी उत्पादों के प्रोडक्शन के साथ ही उनकी मार्केटिंग पर भी ध्यान दिया जा रहा है। दुग्ध एवं उनसे संबंधित उत्पादों के क्षेत्र में राज्य में अनेक संभावनाएं हैं। उत्तराखण्ड में प्रतिभाओं की कमी नहीं हैं, इन प्रतिभाओं को उजागर करने की दिशा में ध्यान देने की जरूरत है। इसमें औद्योगिक संस्थानों की बड़ी भूमिका हो सकती है।

पतंजलि ग्रुप के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि कृषि एवं उद्यान के क्षेत्र में उत्तराखण्ड में अनेक संभावनाएं हैं। राज्य में 4 तरह के एग्रो क्लाइमेटिक जोन हैं। भारत का पहली फूड प्रोसेसिंग यूनिट उत्तराखण्ड में स्थापित हुई। एरोमैटिक एवं मेडिसनल क्षेत्र में राज्य में काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि राज्य बद्री गाय के दूध, घी एवं एन्य उत्पादों को और अधिक प्रमोट करना होगा। राज्य की औषधीय गुणों वाली दालों की ब्रांडिंग पर भी ध्यान देना होगा।