चंदन की खेती को बढ़ावा देगी शिवराज सरकार
मध्यप्रदेश में लघु वनोपजों के प्रसंस्करण पर सरकार खास ध्यान देगी। इसके अलावा, प्रदेश सरकार पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर वनवासियों और वन समितियों को प्रोडक्ट बनाओ और बेचो के काम को प्रोत्साहित करेगी। इसके तहत, सरकार चंदन की खेती को बढ़ावा देगी।
प्रदेश की राजधानी भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में वन विभाग द्वारा आयोजित अतंर्राष्ट्रीय वन मेले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश में वनोपज के विक्रय के वर्तमान प्रचलित कार्य का विकेंद्रीकरण किया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के तहत वनवासियों और वन समितियों द्वारा प्रोडक्ट बनाओ और बेचो के कार्य को भी प्रोत्साहन दिया जाएगा। लघु वनोपजों के प्र-संस्करण पर अधिक ध्यान दिया जाएगा। वन-धन केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाएगी। उनकी उत्पादित सामग्रियों की पुख्ता विपणन व्यवस्था की जाएगी।
प्रदेश की राजधानी भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में वन विभाग द्वारा आयोजित अतंर्राष्ट्रीय वन मेले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश में वनोपज के विक्रय के वर्तमान प्रचलित कार्य का विकेंद्रीकरण किया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के तहत वनवासियों और वन समितियों द्वारा प्रोडक्ट बनाओ और बेचो के कार्य को भी प्रोत्साहन दिया जाएगा। लघु वनोपजों के प्र-संस्करण पर अधिक ध्यान दिया जाएगा। वन-धन केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाएगी। उनकी उत्पादित सामग्रियों की पुख्ता विपणन व्यवस्था की जाएगी।
वनोपज उत्पादन को देंगे बढ़ावा
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में गेहूँ, धान, चने का उत्पादन कार्य पारंपरिक रूप से बड़े पैमाने पर होता है। इन उत्पादनों के साथ ही चंदन की खेती, बांस उत्पादन, औषधियों के निर्माण में उपयोगी वनोपज के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा। पर्यावरण के लिए वनों को बचाना भी आवश्यक है और वनों से वनवासियों को आय भी हो, इसके प्रयास किए जाएंगे।
आयुर्वेद का उपयोग करना भी उपयोगी
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति प्राचीन विधा है। हर ग्राम में इसके जानकार होते थे। उन्होंने इंदौर के वैद्य पं. रामायण शास्त्री का उल्लेख करते हुए बताया कि वे खाने-पीने की चीजों में औषधि देते थे, हजारों रोगियों को इसका लाभ मिलता था। ऐलोपेथी के साथ आयुर्वेद का उपयोग भी करना उपयोगी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व को बेहतर औषधियाँ चाहिए, जो हमें वनों से प्राप्त हो सकती हैं। हम दुनिया को औषधियाँ देकर मदद कर सकते हैं और अच्छा लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए हमारे वनोपज से जुड़े भाई-बहनों को आगे आना चाहिए।
बांस का उपयोग भी बढ़ा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बाँस की मांग बढ़ती जा रही है। इसका क्षेत्र बढ़ रहा है। बाँस से फर्नीचर बनाने और सजावटी सामान के साथ इसके उपयोग का दायरा बढ़ रहा है। वन समितियाँ बाँस के उत्पाद को बढ़ावा दें और बेहतर मुनाफा कमाएं।
30 लाख की वन औषधियों का विक्रय
वन मेले के 30 लाख रूपए की वन औषधियों का विक्रय हो चुका है। उल्लेखनीय है कि इस वन मेले में मध्यप्रदेश के अलावा महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, केरल और दिल्ली आदि राज्यों के 300 स्टॉल लगाए गए हैं। राज्य लघु वनोपज संघ के भोपाल के बरखेड़ा पठानी स्थित एमएफपी पार्क की प्रदर्शनी, उत्पाद और औषधि पौधे मेले में लोगों के आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं।
13 करोड़ 50 लाख के हुए एमओयू
अंतर्राष्ट्रीय वन मेला में क्रेता-विक्रेता सम्मेलन में 13 करोड़ 50 लाख रूपए के व्यापारिक अनुबंध किए गए हैं। वन मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने सम्मेलन का शुभारंभ किया। राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के प्रबंध संचालक पुष्कर सिंह ने बताया कि कच्ची हर्बल सामग्री जिनमें आँवला, आँवला सूखा गुठली रहित, भृंगराज पंचांग, भुई हर्रा-कचरिया, भिलावा, गिलोय, बाबडंग, नागरमोथा, अरनीमूल, बबूल गोंद, बहेड़ा छिलका, दारूहल्दी, द्राथा, गुड़-जीरा, कपरर्दिका भस्म, कपूर, लोंग, महुआ फूल सूखा, मुलेठी, पारा, पिपरमिन्ट आदि से संबंधित 85 प्रजातियों के एमओयू हस्ताक्षरित हुए। सम्मेलन में जड़ी-बूटियों, हर्बल उत्पाद और आयुर्वेद के व्यवसाय से जुड़े प्रदेश की विभिन्न मंडियों के लघु वनोपज व्यापारी, उत्पादक, निर्माता और प्र-संस्करणकर्ताओं के प्रतिनिधियों के साथ ही जिला यूनियनों ने शिरकत की।
द्वारा राजेंद्र पाराशर पत्रकार भोपाल