आम जन की सुविधा हेतु तकनीकी सेवाओं की बेहतरी के संबंध में मुख्यमंत्री जी के दिशा-निर्देश
● आम जन को शासन की सेवाओं की सहज उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता के उद्देश्य से राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केंद्र (NIC) का सराहनीय योगदान रहा है। जनसुनवाई पोर्टल-IGRS, मुख्यमंत्री राहत कोष पोर्टल, एंटी भू-माफिया, एंटी माफिया पोर्टल, मुख्यमंत्री अनुश्रवण प्रणाली जैसे अभिनव तकनीकी प्रयासों ने शासन तक आम जन की सीधी पहुंच सुलभ कराई है, तो ई-कैबिनेट, ई-ऑफिस, प्रोटोकाल पोर्टल जैसी सेवाओं से शासन की कार्यप्रणाली सरल हुई है।
● आदरणीय प्रधानमंत्री जी की ‘एक देश-एक एप्लिकेशन’ की अवधारणा को अंगीकार करते हुए 18वीं विधान सभा में ई-विधान लागू किया गया। इस कार्य में एनआईसी की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। इसके तहत सदस्यों को नेवा सेवा केन्द्र के माध्यम से प्रशिक्षण भी प्रदान किया जा रहा है। विधानसभा के उपरांत अब विधान परिषद को भी ऐसी आधुनिक तकनीक से लैस किया जाना आवश्यक है। इस कार्य को यथाशीघ्र पूर्ण करा लिया जाए।
● विभागों द्वारा विभिन्न चयन आयोगों को रिक्तियों के सम्बंध में भेजे जाने वाले अधियाचन को ऑनलाइन सेवा से जोड़ा जाए। ई-अधियाचन से नियुक्तियों की प्रक्रिया और सरल होगी।
● सचिवालय में फाइलों के लिए ई-ऑफिस की व्यवस्था है। इसे समस्त विभागाध्यक्ष/निदेशक कार्यालयों में भी लागू किया जाए। फिजिकल फाइलों का उपयोग अपरिहार्य स्थिति में ही किया जाना चाहिए। ई-ऑफिस को और प्रभावी बनाने की आवश्यकता है।
● छात्रवृत्ति/शुल्क प्रतिपूर्ति को ऑनलाइन सेवा से जोड़ने के अच्छे परिणाम मिले हैं। हालांकि कई बार छात्रों को आवदेन में समस्या होती है। इसमें सुधार के लिए जरूरी प्रयास की आवश्यकता है।
● वरासत उत्तराधिकार/स्टाम्प पंजीयन के प्रकरणों में तकनीक की मदद से आमजन को और सहूलियत दी जा सकती है। भूमि रिकॉर्ड को अपडेट करने में लगने वाला समय और कम करने की जरूरत है।
● लैंड रिकॉर्ड को रजिस्ट्री विभाग से जोड़ा जाना जरूरी है। रजिस्ट्री विभाग का कार्य केवल राजस्व एकत्रित करना भर नहीं होना चाहिए। जमीन की रजिस्ट्री से पूर्व यह सुनिश्चित किया जाना जरूरी है कि विक्रय करने वाला व्यक्ति ही वास्तव में भूमि का मालिक है। ऐसे मामलों में कई बार धोखाधड़ी की बात सामने आती है। इस कार्य में तकनीक की मदद से व्यापक सुधार किया जाना चाहिए।
● एनआईसी अधिकारियों को तकनीकी कार्यों के इतर दायित्व से मुक्त रखा जाए, मात्र ई-गवर्नेंस के कार्य ही सौपे जाएं।
● विभागीय निर्देशन में एन.आई.सी. द्वारा विकसित पोर्टल एवं उससे संबंधित डाटा का स्वामित्व संबंधित विभाग का होता है, अतः संबंधित विभाग द्वारा रखरखाव का प्रबंधन किया जाना चाहिए।