भरतपुर के इस किसान के सफलता का सफर जरूर पढ़ना चाहिए। 55 साल के निहाल सिंह कामां तहसील के तरगोतरा उंधन गांव के रहने वाले हैं। वह 35 साल की उम्र से ही फिश फॉर्मिंग कर रहे हैं।

निहाल सिंह कामां ने बताया कीभाइयों के बीच बंटवारा होने के बाद मेरे हिस्से में 5 बीघा जमीन आई थी। परिवार भी बड़ा था। ऐसे में पारंपरिक खेती से कुछ खास मुनाफा नहीं हुआ। मैं परेशान रहने लगा। यह बात जब मैंने अपने दोस्तों को बताई तो उन्होंने फिश फॉर्मिंग का आइडिया दिया। दोस्तों ने ही फिश फार्मिंग का तरीका भी समझाया।

फिश फार्मिंग शुरू करने के बाद धीरे-धीरे मुनाफा मिलने लगा। प्रॉफिट बढ़ता देख, मैंने गांव के ही सरकारी तालाब को ठेके पर लिया और फॉर्मिंग शुरू की। पहली बार में मैंने 6 लाख रुपए कमाए।

दिल्ली और फरीदाबाद मंडी तक सप्लाई

दिल्ली और फरीदाबाद मंडी तक मेरी मछलियां सप्लाई होती हैं। भरतपुर के बाजारों से व्यापारी खुद मेरे पास आते हैं। साइज के अनुसार मछलियों की डिमांड रहती है। व्यापारियों को जो मछली पसंद आती है, उनकी साइज के अनुसार वे तालाब से इन्हें निकाल ले जाते हैं। तालाब में हर वजन की मछली मिल जाती है। इनके वजन के अनुसार ही दाम तय होता है।

फिश फार्मिंग के मुनाफे से खरीदी 7 बीघा जमीन, बच्चों की शादी कराई
मेरे तीन बेटियां और दो बेटे हैं। फिश फॉर्मिंग से हुए मुनाफे से मैंने तीनों बेटियों की शादी कराई। बड़ा बेटा फरीदाबाद में नौकरी करता है और छोटा बेटा अभी पढ़ाई कर रहा है। इतना ही नहीं इसकी खेती करते-करते मैं 7 बीघा जमीन और खरीद चुका हूं। अब मेरे पास 12 बीघा जमीन है। इसकी कीमत आज 1 करोड़ रुपए से भी ज्यादा है। अब मैं एक और तालाब में फिश फार्मिंग शुरू करने की प्लानिंग कर रहा हूं।

मछलियों के लिए तैनात हैं गार्ड
मेरे इलाके में पानी की काफी कमी है। तालाब में पानी भरने के लिए मैंने तालाब के पास बोरिंग लगवाई। मछली जब बड़ी हो जाती हैं तो चोरी होने का भी डर लगा रहता है। अभी तालाब में 10 लाख की मछलियां हैं। इसलिए तालाब की देखभाल करना जरूरी हो जाता है। इसके लिए मैंने दो गार्ड रखे हैं, जो 24 घंटे इनकी निगरानी करते हैं।