11 सौ आवेदनों में से मानकों पर खरे नहीं उतरने वाले 577 आवेदन खारिज

चिकित्सा शिक्षा विभाग की नर्सिंग और पैरा मेडिकल की शिक्षा को गुणवत्ता युक्त बनाने के लिए बड़ी कार्रवाई एएनएम, जीएनएम और पैरा मेडिकल की मान्यता के लिए अक्तूबर 2021 से फरवरी 2022 तक 11 सौ आवेदन किया था संस्थानों ने पिछले छह महीने में 440 सेंटरों में नर्सिंग और पैरा मेडिकल कोर्सेज चलाने की मान्यता भी दी गई जीएनएम की पढ़ाई के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग बढ़ा रहा सरकारी क्षेत्र में 20 फीसदी सीटें

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोगों को उच्च गुणवत्ता युक्त स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की मुहिम का असर दिखने लगा है। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने एएनएम, जीएनएम और पैरा मेडिकल की मान्यता के लिए अक्तूबर 2021 से फरवरी 2022 के बीच आए 11 सौ आवेदनों में से मानकों पर खरे नहीं उतरने वाले 577 आवेदनों को खारिज किया है। महज पांच महीने में इतनी बड़ी संख्या में आवेदनों को खारिज करने की कार्रवाई पहली बार की गई है।
सीएम योगी ने हाल ही में चिकित्सा शिक्षा विभाग को मानक अनुसार नर्सिंग और पैरा मेडिकल कोर्सेज की पढ़ाई कराने के निर्देश दिए थे। इस बाबत चिकित्सा शिक्षा विभाग ने नर्सिंग और पैरा मेडिकल की पढ़ाई की गुणवत्ता को सुधारने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आईएनसी) के मानकों का धरातल पर पालन कराया जा रहा है। साथ ही मानकों पर खरे नहीं उतरने वाले संस्थानों की मान्यता खारिज की जा रही है तो पिछले छह महीने में 440 सेंटरों में नर्सिंग और पैरा मेडिकल कोर्सेज चलाने की मान्यता भी दी गई है। इसके अलावा चिकित्सा शिक्षा विभाग जीएनएम की पढ़ाई के लिए सरकारी क्षेत्र में 20 फीसदी सीटों में इजाफा भी कर रहा है।

आईएनसी का पालन करने वाले संस्थान ही संचालित कर पाएंगे कोर्स: आलोक कुमार

चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचित आलोक कुमार ने बताया कि नर्सिंग और पैरामेडिकल की शिक्षा को उच्च गुणवत्ता युक्त बनाने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। आईएनसी के मानकों का पालन करने वाले संस्थान ही नर्सिंग और पैरा मेडिकल के कोर्स संचालित कर पाएंगे। ताकि इनसे निकलने वाले छात्रों को नौकरी या रोजगार के लिए भटकना न पड़े।

दूसरे सेंटरों पर परीक्षा देंगे 50 हजार से अधिक छात्र

चिकित्सा शिक्षा विभाग ने एक और बड़ा बदलाव किया है। अब नर्सिंग और पैरा मेडिकल की परीक्षाएं दूसरे सेंटरों पर कराई जाएंगी। इसके तहत सितंबर के महीने में 50,000 से ज़्यादा छात्रों की वार्षिक परीक्षा होगी। हाल ही में पायलट प्रोजेक्ट के तहत स्पलिमेंट्री एग्जाम इसी प्रारूप पर कराए गए हैं।