सड़क सुरक्षा के संबंध में मुख्यमंत्री जी के दिशा-निर्देश
● विगत दिनों राम नवमी, अक्षय तृतीया, परशुराम जयंती और ईद सहित अनेक पर्वों के शांति और सौहार्दपूर्ण आयोजन के माध्यम से उत्तर प्रदेश ने एक बड़ा और सकारात्मक संदेश दिया है।
● संवाद के माध्यम से ही हमने अनावश्यक रूप से लगाये गए लाउडस्पीकरों को हटाने में सफलता पाई है। लाउडस्पीकर की आवाज संबंधित परिसर के भीतर ही रहेगी, सौहार्द के साथ हमने यह करके उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह स्थिति आगे भी बनी रहे। यदि फिर कहीं अनावश्यक लाउडस्पीकर लगाए जाने/तेज आवाज में बजने की शिकायत प्राप्त हुई तो सम्बंधित सर्किल के पुलिस अधिकारी, डिप्टी कलेक्टर व अन्य अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी।
● संवाद के माध्यम से विभिन्न जनपदों में जो लाउडस्पीकर लोगों ने हटाये हैं, उन्हें आवश्यकतानुसार निकटस्थ स्कूलों को उपलब्ध कराने में सहयोग करें।
● प्रत्येक नागरिक का जीवन अमूल्य है। यह अत्यंत दुःखद है कि प्रति वर्ष बहुत से लोग थोड़ी सी असावधानी के कारण सड़क दुर्घटनाओं में असमय काल-कवलित हो जाते हैं। अतः हमें सतत सतर्क सावधान रहना होगा।
● सड़कों पर अतिक्रमण की समस्या को समाप्त करना होगा। पटरी व्यवसायियों के स्थान का चिन्हांकन करते हुए यह सुनिश्चित करें कि कोई तय स्थान के बाहर दुकान न लगाएं। व्यापारियों से संवाद बनाकर यह सुनिश्चित कराएं की हर दुकान अपनी सीमा के भीतर ही हो। नगरों में पार्किंग की व्यवस्था को और सुदृढ़ करना होगा। स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी है को अवैध टैक्सी स्टैंड की समस्या का स्थायी समाधान करे। अन्यथा की स्थिति में जवाबदेही तय की जाएगी।
● बेसिक और माध्यमिक स्कूलों में बच्चों को यातायात नियमों के पालन के लिए विशेष प्रयास किए जाने की जरूरत है। ट्रैफिक नियमों के पालन का संस्कार बच्चों को शुरुआत से ही दी जानी चाहिए। यातायात नियमों के संबंध में प्रधानाचार्यों/प्राचार्यों/विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों का प्रशिक्षण कराया जाए। अगले दो दिनों के भीतर अभिभावकों के साथ भी विद्यालयों में बैठक हो।
● सड़क/ओवरब्रिज स्टंट करने की जगह नहीं है। ऐसी अराजकता पर सख्ती से लगाम लगाई जाए। हेलमेट/सीटबेल्ट के प्रयोग को अनिवार्य रूप से कड़ाई के साथ लागू किया जाए।विद्यालयों में ‘रोड सेफ्टी क्लब’ का गठन करने की दिशा में कार्यवाही तेज करें।
● सड़क सुरक्षा केवल एक विभाग की जिम्मेदारी नहीं है। यह सामूहिक प्रयासों से ही संभव हो सकेगा। अतः सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए अन्तर्विभागीय समन्वय के साथ वृहद अभियान चलाया जाना जरूरी है। अभियान में सड़क सुरक्षा के विभिन्न घटकों जैसे रोड इंजीनियरिंग, प्रवर्तन कार्य, ट्रामा केयर और जनजागरूकता को समाहित किया जाए।
● अभियान के प्रथम चरण में कल से अगले 05 दिवस हमारा जोर जागरूकता पर होगा। इस दौरान सड़क सुरक्षा के सम्बन्ध में व्यापक जन-जागरूकता के कार्यक्रम संचालित किए जाएं। पब्लिक एड्रेस सिस्टम का अधिकाधिक प्रयोग किया जाना चाहिए। स्कूली बच्चों द्वारा जागरूकता विषयक प्रभात फेरी निकाली जानी चाहिए। लोगों को ट्रैफिक नियमों की जानकारी देते हुए पालन करने के लिए जागरूक किया जाए।
● सड़क सुरक्षा अभियान के दूसरे चरण में इंफोर्समेंट की कार्रवाई हो। पूरे प्रदेश में सड़क सुरक्षा के नियमों का अनुपालन कड़ाई से सुनिश्चित कराया जाए।
● विधिवत प्रशिक्षित लोग ही सड़क पर वाहन चलाएं। ड्राइविंग टेस्टिंग प्रणाली के आइटोमेशन की आवश्यकता है। ओवरस्पीडिंग/ओवरलोडिंग के विरुद्ध कठोरता से कार्रवाई की जाए। नियमों के उल्लंघन पर वाहन का चालान जरूर किया जाए।
● प्रत्येक दशा में यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रदेश के किसी भी क्षेत्र में अनफिट/बिना परमिट के स्कूली बसों का संचालन नहीं होगा।
● राजमार्गों और एक्सप्रेस-वे पर ओवरस्पीड के कारण आए दिन दुर्घटनाओं की सूचना मिलती है। ऐसे में ब्लैक स्पॉट के सुधारीकरण, स्पीड मापन, त्वरित चिकित्सा सुविधा, सीसीटीवी आदि व्यवस्था को और बेहतर करने की जरूरत है। सम्बंधित प्राधिकरणों को इस दिशा में गंभीरता से विचार करते हुए कार्य करना होगा। यह सुनिश्चित किया जाए कि राजमार्गों पर ट्रकों की कतारें न लगें। एम्बुलेंस रिस्पॉन्स टाइम को और कम करने की जरूरत है।
● अवैध स्टैंड को अगले 48 घंटों के भीतर समाप्त करने के लिए कार्रवाई करें। जगह तय करें , पारकिंग की जगह सुनिश्चित करें। माफिया/अराजक/दलाल प्रकृति के लोगों को यहां दूर रखें।
● स्पीड ब्रेकर निर्माण करते समय लोगों की सुविधा का ध्यान भी रखें। स्पीड ब्रेकर टेबल टॉप हों। बुजुर्गों, बच्चों, महिलाओं, मरीजों को अनावश्यक परेशानी न उठानी पड़े। खराब डिजाइनिंग की वजह से अक्सर लोग स्पीड ब्रेकर के किनारे से वाहन निकालने का प्रयास करते हैं, जिससे दुर्घटना भी होती है।
● ऐसा देखा जा रहा है कि अनेक अवैध/डग्गामार बसें उत्तर प्रदेश की सीमा से होकर विभिन्न राज्यों की ओर जा रही हैं। यह बसें ओवरलोड होती हैं। इनकी स्थिति भी जर्जर होती हैं। परिवहन विभाग द्वारा विशेष सतर्कता बरतते हुए ऐसे बसों के संचालन को रोका जाए। इनके परमिट सहित अन्य दस्तावेजों की जांच हो।