संतुलित आहार व योग व्यवहार अपनाकर नहीं पड़ेंगे बीमार : डॉ. पूजा

गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) में दीक्षा पाठ्यचर्या समारोह का दसवां दिन

महंत दिग्विजयनाथ आयुर्वेद चिकित्सालय की सलाहकार डॉ. पूजा तिवारी ने कहा कि पथ्य आहार और दिनचर्या में योग व्यवहार को अपनाने वालों को दवाओं की आवश्यकता नहीं पड़ती है। जो लोग भी संतुलित आहार, योग के साथ दिनचर्या को नियमित रखते हैं, वे बीमार नहीं पड़ते हैं।

डॉ पूजा तिवारी शुक्रवार को महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, आरोग्यधाम की संस्था गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) में बीएएमएस प्रथम वर्ष के दीक्षा पाठ्यचर्या (ट्रांजिशनल करिकुलम) समारोह के दसवें दिन “योगा प्रैक्टिस एंड रिलैक्सेशन टेक्निक्स” विषय पर व्याख्यान दे रही थीं। उन्होंने योग के पांच नियमों यम, नियम, आसन, प्राणायाम व प्रत्याहार की बारीकियों से नवप्रेवशी विद्यार्थियों को अवगत कराया। एक अन्य सत्र में “कम्युनिकेटिव इंग्लिश” विषय पर व्याख्यान देते हुए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में अंग्रेजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. पंकज कुमार सिंह ने कहा कि भाषा संचार या संप्रेषण का सशक्त माध्यम है। यह सजीव व निर्जीव के बीच विभेद करती है। बेहतर संप्रेषण के लिए स्पष्ट वाक्यों का चयन आवश्यक है। गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के प्रोफेसर डॉ. गणेश बी. पाटिल ने सिलेबस के बारे में विस्तार से बताया जबकि राहुल श्रीवास्तव ने कम्प्यूटर स्किल्स बढ़ाने के टिप्स दिए।

संस्कृति से होता है राष्ट्र का निर्माण : डॉ. राव

दीक्षा पाठ्यचर्या समारोह में शुक्रवार के पहले सत्र में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, आरोग्यधाम के कुलसचिव डॉ. प्रदीप कुमार राव ने “राष्ट्र, समाज और हम” विषय पर छात्रों से संवाद किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्र एक विशद अवधारणा है जिसका निर्माण संस्कृति से होता है। राष्ट्र के निर्माण का अर्थ है किसी भी भू भाग पर संस्कृति का निर्माण करना। देश जन, भूमि, राज्य व संप्रभुता का समुच्चय होता है। राष्ट्र का विकास व्यक्ति व समाज के परस्पर विकास से प्रभावित होता और प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति 2600 वर्ष पूर्व विकसित हुई। अपने देश की संस्कृति विविधता में एकता का अनुपम उदाहरण है।

कार्यक्रमों में गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के प्राचार्य डॉ. पी. सुरेश, प्रो. (डॉ) एसएन सिंह, एसोसिएट प्रो. डॉ. पीयूष वर्षा, एसोसिएट प्रो. डॉ. प्रिया नायर, एसोसिएट प्रो. डॉ. दीपू मनोहर, असिस्टेंट प्रो. डॉ. सुमित कुमार, असिस्टेंट प्रो. डॉ. प्रज्ञा सिंह आदि की सक्रिय सहभागिता रही।