बोधगया में एक ऐसा स्कूल है जहां बच्चों से फीस नहीं ली जाती। इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे ही दान दाता हैं। वे फीस की जगह पर स्कूल प्रबंधन को कचरा दान में देते हैं। उसी कचरे से स्कूल प्रबंधन स्कूल खर्च चलाता है। स्कूल में 250 बच्चे पढ़ते हैं और फ्री पढ़ाई के बदले उन्हें अपने घर से प्लास्टिक का कचरा लेकर आना होता है।
बच्चे घर से लाए कचरे को स्कूल के गेट के पास रखे डस्टबीन में नियमित रूप से डालते हैं। इस अनोखे स्कूल का नाम पद्मपाणि है। इसी स्कूल ने यह पहल शुरू की है। स्कूल प्रबंधन का कहना है कि इस मुहिम पीछे का मुख्य कारण पर्यटन स्थल बोधगया का होना है। यहां हजारों की संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु हर दिन आते हैं। इसलिए इस स्कूल ने योजना बनाई कि बोधगया को स्वच्छ व सुंदर कैसे दिख सकता है।.
कचरे को री-साइकिल होने के लिए भेज दिया जाता है
बाद में इस कचरे को री-साइकिल होने के लिए भेज दिया जाता है। कचरा बेचकर जो पैसा इकट्ठा होता है, उस पैसे को बच्चों की पढ़ाई, खाना, कपड़ा और किताबों पर खर्च किया जाता है। बता दें कि विद्यालय में बिजली का कनेक्शन नहीं है, बल्कि स्कूल का संचालन सौर ऊर्जा से किया जाता है।
कचरा बेचकर पूरी की जाती है खर्च की भरपाई
बच्चों द्वारा घर या रास्ते से जो भी प्लास्टिक का कचरा लाया जाता है, उसे स्कूल के बाहर बने डस्टबीन में डालना होता है। बाद में इस कचरे को री-साइकिल होने के लिए भेज दिया जाता है। कचरा बेचकर जो पैसा इकट्ठा होता है, उस पैसे को बच्चों की पढ़ाई, खाना, कपड़ा और किताबों पर खर्च किया जाता है। वर्ष 2014 में स्थापित पद्मपाणि स्कूल में वर्ग 1 से 8वीं तक के बच्चों की पढ़ाई होती है। खास बात यह है कि इस स्कूल को बिहार सरकार से मान्यता भी मिल चुकी है। यहां करीब 250 गरीब परिवार के बच्चे पढ़ने आते हैं।
पद्मपाणि स्कूल के डायरेक्टर मनोरंजन कुमार ने बताया कि करीब 65 किलो कचरा महीने में एकत्रित हो जाता है। जिसे री साइकिल के लिए भेज दिया जाता है। उन्होंने बताया कि हमारे स्कूल में 9 टीचर एक प्रिंसिपल दो सुरक्षाकर्मी कार्यरत हैं। इस पर जब उनसे पूछा गया कि क्या मात्र 65 किलो से स्कूल खर्च की भरपाई हो जाती है तो उन्होंने बताया कि यह मुहिम है। बोधगया को जागरूक करने का। खर्च की भरपाई बोधगया में आने वाले तमाम लोग करते हैं। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि इस मुहिम को स्वच्छ लोहिया बिहार अभियान से जोड़ा गया है।