पूर्वी उत्तर प्रदेश के कृषि क्षेत्र में नव क्रांति का संकल्प
कालानमक धान के बीज का उत्पादन का बड़ा केंद्र बनेगा महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र वार्षिक योजना की बैठक में केंद्र व यूपी सरकार की कृषि नीतियों को अमलीजामा पहनाने पर चर्चा महायोगी गोरखनाथ केवीके को देसी नस्ल की गाय व बकरी उत्पादन के क्षेत्र में शोध का बड़ा केंद्र बनाने की तैयारी महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र को करें स्टार्टअप के रूप में विकसित: कुलपति
महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), चौक माफी की वार्षिक योजना की बैठक में केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार की कृषि एवं कृषि आधारित क्षेत्र की नीतियों को अमलीजामा पहनाते हुए पूर्वी उत्तर प्रदेश के कृषि क्षेत्र में नव क्रांति लाने का संकल्प लिया गया। इसके तहत जिन विभिन्न पहलुओं पर कार्य किया जाएगा उनमें महायोगी केवीके को विश्व प्रसिद्ध कालानमक धान के बीज उत्पादन का बड़ा केंद्र बनाने की तैयारी प्रमुख है। इसके साथ ही यह केवीके पशुपालन क्षेत्र के उन्नयन के लिए देसी नस्ल की गाय और बकरी के नस्ल में सुधार हेतु शोध व उत्पादन के बड़े केंद्र के रूप में विकसित होने जा रहा है। कुल मिलाकर कृषि व सह आधारित क्षेत्र में बड़े बदलाव की तैयारी शुरू कर दी गई है।
सोमवार को महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान, केंद्र चौक माफी की वार्षिक योजना की बैठक में विशेषज्ञ के रूप में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राजेश सिंह की उपस्थिति में कई योजनाओं पर विचार किया गया और महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। प्रो सिंह ने कहा कि वर्ष 2016 में स्थापित यह कृषि विज्ञान केंद्र आधारभूत ढांचे मैं अब पूरी तरह समृद्ध हो चुका है। सात वैज्ञानिकों की टीम कृषि क्षेत्र में शोध, प्रशिक्षण आदि के क्षेत्र में सतत कार्य कर रही है। यह बेहद प्रसन्नता की बात है कि राष्ट्रीय कृषि विज्ञान योजना के अंतर्गत यहां तीन करोड़ रुपये की योजनाओं पर काम शुरू होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि धान, गेहूं अरहर, गन्ना के उत्पादन सहित पूरे उत्तर प्रदेश में कृषि व कृषि आधारित क्षेत्रों में विकास की अपार संभावनाएं हैं। इन संभावनाओं को अवसर के रूप में बदलने के लिए यह कृषि विज्ञान केंद्र महत्वपूर्ण व सराहनीय कार्य कर रहा है। कुलपति ने कहा कि महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र को स्टार्टअप के रूप में भी विकसित किया जा सकता है। इस केंद्र पर कृषि उत्पादों के प्रोसेसिंग, पैकेजिंग के लिए परियोजना तैयार कर और इस पर कार्य करने की आवश्यकता है जिससे कृषि उत्पादों का उचित मूल्य कृषकों को मिल सकेगा। केंद्र बीज उत्पादन कार्य में कृषकों को साथ में जोड़कर कार्य करे जिससे कृषको की आय में वृद्धि होने के साथ गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन हो सके।
इस अवसर पर इस केवीके में विभिन्न खाद्यान्नों के बीजों पर शोध व उत्पादन वृद्धि के प्रयासों को लेकर चर्चा की गई और इन प्रयासों को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया। महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र के प्रबंध समिति के सदस्य एवं।महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ प्रदीप कुमार राव ने बताया कि वार्षिक योजना की बैठक में जो निर्णय लिए गए हैं उनमें सबसे प्रमुख इस केवीके को समूचे पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए प्रमुख कालानमक धान के बीज उत्पादन का बड़ा केंद्र बनाने का निर्णय है। इसके अलावा इस केंद्र को देसी गायों व बकरियों के नस्ल सुधार के कार्य तथा इनके उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना पर मुहर लगी है। महायोगी गोरखनाथ केवीके गुड़, खांड व शहद के गुणवत्तापूर्ण उत्पादन को भी बढ़ावा देगा। बैठक में इस चर्चा पर भी सर्वानुमति बनी कि गुड़, शहद आदि के उत्पादन में हॉर्टिकल्चर व हाइड्रोपोनिक तकनीकी का उपयोग करते हुए स्टार्टअप के जरिये पूर्वी उत्तर प्रदेश के कृषि क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। डॉ राव ने बताया कि यह केवीके किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को प्रोफेशनल ढंग से कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करने की दिशा में भी जरूरी कदम उठाएगा। बैठक में डॉ विजय प्रताप सिंह, डॉ अवनीश कुमार सिंह, डॉ संदीप उपाध्याय, डॉ श्वेता सिंह, डॉ अजीत श्रीवास्तव व प्रगतिशील किसानों की सहभागिता रही।