मुख्यमंत्री ने कहा मैं किसान हूं, मेरी आजीविका का निर्वाह हो रहा गौ पालन सेमध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का सपना रहा है कि खेती को लाभ का धंधा बनाया जाए। वे इसी को लेकर कृषि महकमे में बदलाव भी करते रहे हैं। कृषि के साथ साथ वे पशुपालकों की आर्थिक स्थिति में बदलाव लाने के लिए भी प्रयासरत रहे हैं। अपने मुख्यमंत्री के रूप में चौथे कार्यकाल में शिवराज सिंह चौहान का फोकस अब किसानों के साथ साथ पशुपालकों पर भी केन्द्रित है। उन्होंने इसके लिए हाल ही में पशुपालन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की और साफ संकेत दिए कि गौ पालन छोटे किसानों और पशुपालकों के लिए फायदे का धंधा कैसे बने इसे लेकर फैसले लें और पशुपालकों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए प्रयासरत रहें।  पशु चिकित्सकों और विशेषज्ञों को परिणाम-मूलक कार्य के निर्देश दिए।
109 नंबर एंबुलेंस
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि दुग्ध उत्पादक पशुओं में अधिक दूध उत्पादन के लिए नस्ल सुधार और पशुओं का आसानी से इलाज हो, विभाग ऐसी व्यवस्था करे। उन्हें कहा कि 108 एंबुलेंस की तर्ज पर पशुओं के लिए 109 एंबुलेंस सुविधा प्रारंभ की जाए। इसका उद्देश्य यह है कि पशुओं को इलाज के लिए अस्पताल न लाना पड़े। अपितु पशु जहाँ हैं, एम्बुलेंस वहीं पहुँचकर उनका इलाज करें।

शिवराज सिंह चौहान मुख्यमन्त्री मध्य प्रदेश शासन

अपना उदाहरण देकर समझाई बात
मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं स्वयं किसान हूं और अपनी आजीविका का निर्वाह गौ-पालन से कर रहा हूँ। मैंने संकल्प लिया था कि आजीविका का निर्वाह कृषि या कृषि से संबंधित गतिविधियों से ही करेंगे। कृषि और पशुपालन का चोली-दामन का साथ है। भारत की कल्पना कृषि के बिना नहीं की जा सकती और कृषि बिना पशुपालन के संभव नहीं है। कृषि में मशीनीकरण होने के कारण कृषि और पशुपालन के संतुलन में बदलाव आया है। पहले किसान गाय के साथ-साथ बैल को भी सहेज कर रखते थे। मशीनीकरण के कारण गाय और विशेष रूप से बैल का महत्व कम होता चला गया। मुख्यमंत्री  ने कहा कि देशी नस्ल की गाय का दूध स्वास्थ्य के लिए अधिक लाभदायक है, पर इन गायों में दूध का उत्पादन कम होने के कारण किसानों के लिए देशी गाय पालना कठिन होता है। अतरू छोटे पशुपालकों के लिए देशी गाय पालना और इससे दुग्ध उत्पादन लाभ का व्यवसाय बने, इसके लिए शोध और अनुसंधान आवश्यक है। राज्य सरकार द्वारा गौ-पालन को प्रोत्साहित करने के लिए श्रेष्ठ गाय रखने वाले को गौ पालन पुरस्कार से पुरस्कृत किया जाता है।

अर्थ व्यवस्था को सुदृढ़ करने में गोबर का करें प्रयोग
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम प्रदेश में पशु उत्पादों के बेहतर उपयोग के लिए अलख जगाने का निरंतर प्रयास कर रहे हैं। दूध के अतिरिक्त गाय-भैंसों के गोबर, गो-मूत्र आदि से भी कई वस्तुएं निर्मित होती हैं। हम चाहें तो अपनी अर्थ-व्यवस्था को इन गतिविधियों से सुदृढ़ कर सकते हैं और देश को भी आर्थिक रूप से सम्पन्न बना सकते हैं।

शमशान में कम जले लकड़ी, सरकार खरीदे गोबर

मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में शमशान घाटों में यह कोशिश हो रही है कि लकड़ी कम से कम जले। गोबर से बनाई गई गो-काष्ठ का उपयोग बढ़े। इससे गौ-शालाएँ भी आत्मनिर्भर हो रही हैं। गोबर खरीदकर खाद और अन्य वस्तुएं बनाने की दिशा में भी कार्य जारी है।

2200 गौ-शालाएं बनेंगी
मुख्यमंत्री के निर्देशों के पालन करते हुए पशुपालन विभाग अब प्रदेश में 2200 गौ-शालाएं बनाने जा रहा है। गौ-शालाओं के संचालन का कार्य समाजसेवी संस्थाओं को सौंपा जाएगा। गौ-अभयारण्य को गौ-पर्यटन का केन्द्र बनाया जाएगा। इसके लिए पर्यटन विभाग ने कार्य शुरू कर दिया है। प्रदेश में बंद किए गए 8 गौ-सदन पुनः प्रारंभ किए जाएंगे। मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड, मंडी बोर्ड आदि से प्राप्त राशि एवं व्यय की गई राशि का अनुमोदन किया। प्रदेश में 20वीं पशु संगणना के अनुसार 1 करोड़ 87 लाख 50 हजार गौ-वंश हैं।

द्वारा राजेंद्र पाराशर पत्रकार भोपाल