ऑनलाइन होगा मेडिकल कॉलेजों में दवा और उपकरणों का रिकॉर्ड, मरीजों को मिलेगा बेहतर इलाज
मेडिकल कॉलेज में दवाइयों और चिकित्सा उपकरणों की उपलब्धता का सही तरीके से प्रबंधन नहीं किया जाता है। जिससे कई बार समय पर दवाइयों व उपकरण उपलब्ध न होने के कारण मरीजों को इलाज में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। असेट ट्रेकिंग प्रणाली से मेडिकल कॉलेजों में भंडार प्रबंधन में दक्षता और पारदर्शिता आएगी।
प्रदेश में चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकार चारों राजकीय मेडिकल कॉलेजों में असेट ट्रेकिंग सिस्टम लागू करेगी। इससे यह फायदा होगा मेडिकल कॉलेजों में दवाइयों और चिकित्सा उपकरणों की उपलब्धता और कमी को आसानी से ट्रेक किया जा सकेगा, जिससे मरीजों को सुलभ और बेहतर इलाज मिल सकेगा।
सेंटलमिंट इंडिया कंपनी ने मेडिकल कॉलेजों के लिए ब्लाक चेन टेक्नोलॉजी पर आधारित असेट ट्रेकिंग सिस्टम को विकसित किया है। इस प्रणाली का इस्तेमाल हेल्थ केयर क्षेत्र में दवाइयों और चिकित्सा उपकरणों के भंडार प्रबंधन को आसान बनाएगा। सरकार पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इस प्रणाली को प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेज दून, हल्द्वानी, श्रीनगर और अल्मोड़ा में शुरू करने जा रही है।
खास बात यह है कि मेडिकल कॉलेज में दवाइयों और चिकित्सा उपकरणों की उपलब्धता का सही तरीके से प्रबंधन नहीं किया जाता है। जिससे कई बार समय पर दवाइयों व उपकरण उपलब्ध न होने के कारण मरीजों को इलाज में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वहीं कई स्वास्थ्य संस्थानों में उपकरण होने के बाद भी इस्तेमाल नहीं होता है।
आसानी से निगरानी कर सकेंगे अधिकारी
सरकार का मानना है कि असेट ट्रेकिंग प्रणाली से मेडिकल कॉलेजों में भंडार प्रबंधन में दक्षता और पारदर्शिता आएगी। साथ ही चिकित्सा उपकरणों पर जरूरत से अधिक व्यय में कमी आएगी। मेडिकल कॉलेजों में किन दवाइयों और उपकरणों की जरूरत है या अधिक मात्रा है। इसकी शासन स्तर पर उच्च अधिकारी भी आसानी से निगरानी कर सकेंगे।
प्रदेश के चारों राजकीय मेडिकल कॉलेजों में दवाइयों और चिकित्सा उपकरणों के प्रबंधन के लिए असेट ट्रेकिंग सिस्टम को पायलट प्रोजेक्ट पर लागू किया जाएगा। यह प्रयोग सफल रहा तो इसे सरकारी अस्पतालों में भी लागू किया जा सकेगा।