रोजगार के खुलेंगे नए द्वार, खेती में सहयोगी होगा ड्रोन
मध्यप्रदेश के पांच शहरों में ड्रोन स्कूल खोले जाएंगे। इन स्कूलों में बच्चों को ड्रोन तकनीक के बारे में जानकारी दी जाएगी। प्रदेष की राजधानी भोपाल के अलावा इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और सतना में खुलने वाले इन स्कूलों का संचालन उड्डयन मंत्रालय करेगा। ड्रोन स्कूल खोलने के पीछे सरकार की मंशा है कि रोजगार का सृजन किया जाए। फिलहाल अनुमान यह लगाया जा रहा है कि इस प्रशिक्षण के साथ ही प्रदेश में 2 लाख नए रोजगार का सृजन होगा।
दरअसल बीते दिनों ग्वालियर में प्रदेश का पहला ड्रोन मेला लगाया गया था। इस मेले में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस बात की घोषणा की। मेले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि विकास एवं कल्याण के क्षेत्र में ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल कर मध्य प्रदेश को अग्रणी राज्य बनाएंगे। ड्रोन एक ऐसी क्रांतिकारी तकनीक है जिसका उपयोग जन-कल्याण एवं सुशासन में किया जा सकता है। मेले में लगभग 20 कंपनियों ने अपने ड्रोन का प्रदर्शन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल खेतों में उर्वरक तथा कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करने में किया जा सकता है। इससे किसान हानिकारक रसायनों के दुष्प्रभाव से बच सकते हैं। यह तकनीक खर्चीली भी कम है। ड्रोन तकनीक से 25 प्रतिशत तक खाद की बचत होती है।
बाढ़ के दौरान मददगार साबित हुई ड्रोन तकनीक
मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में मध्यप्रदेश के कुछ जिलों में आई बाढ़ के दौरान ड्रोन तकनीक काफी मददगार साबित हुई है। बचाव कार्य ड्रोन के जरिए चलाए गए। मुख्यमंत्री ने बताया कि विदिशा जिले के गंजबासौदा में बीते साल कुआं धसक जाने की घटना में बचाव कार्य में ड्रोन का उपयोग हुआ।
स्वामित्व योजना में काम कर रहे 35 ड्रोन
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में संचालित स्वामित्व योजना में भी ड्रोन तकनीक महती भूमिका निभा रही है। इस योजना में हरदा जिले में शत-प्रतिशत ग्रामीण लोगों को स्वामित्व का अधिकार दिलाया गया है। प्रदेश में वर्तमान में स्वामित्व योजना के तहत 35 ड्रोन काम कर रहे हैं। ड्रोन तकनीक से दवाएं और आपातकालीन राहत आसानी से दुर्गम स्थलों तक पहुँचाई जा सकती हैं। इसी तरह बगैर आदमी के सीमाओं की सुरक्षा की जा सकती है। इस तरह कहा जा सकता है कि ड्रोन तकनीक लोगों के जीवन में संजीवनी की तरह काम कर रही है। रोजगार वृद्धि में ड्रोन तकनीक उपयोगी सिद्ध होगी।
इन जिलों में खोले जाएंगे स्कूल
केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने घोषणा की कि मध्यप्रदेश में पाँच ड्रोन स्कूल ग्वालियर, भोपाल, इंदौर, जबलपुर और सतना में खुलेंगे। इन स्कूलों के जरिए ड्रोन तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे युवाओं को रोजगार मिले। साथ ही ड्रोन तकनीक का भी विकास और आत्म-निर्भरता में भरपूर इस्तेमाल हो। उन्होंने ग्वालियर के एमआईटीएस में ड्रोन एक्सीलेंसी सेंटर खोलने की बात भी कही। इसके लिये एक कंपनी के साथ एमओयू भी साइन किया गया है। ड्रोन मेले में अन्य कंपनियों ने भी एमओयू किए हैं। ड्रोन तकनीक से 3 लाख युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
नियमों को बनाया आसान
केन्द्रीय मंत्री सिंधिया ने बताया कि ड्रोन तकनीक को बढ़ावा देने के लिए नियमों को आसान बनाया गया है। पहले जहां कंपनियों को 25 फार्म भरने पड़ते थे, वह संख्या घटाकर पांच कर दी गई है। लायसेंस की प्रक्रिया और पंजीकरण में स्पष्टता बढ़ाई गई है। उन्होंने कहा सुलभ व सरल ड्रोन की प्रतिबद्धता के साथ सरकार काम कर रही है।
6 महीने का होगा कोर्स
ड्रोन स्कूलों में 6 महीने का सर्टिफिकेशन कोर्स हुआ करेगा। इस सर्टिफिकेट कोर्स को करने के लिए कोई विशेष योग्यता की आवश्यकता नहीं होगी, बल्कि 10वीं, 12वीं पास विद्यार्थी इस कोर्स को करके ड्रोन चलाने के लिए सर्टिफिकेट व पायलट लाइसेंस ले सकेंगे, जिसके बाद उन्हें 20 से 30 हजार रुपए तक के वेतन पर नौकरी मिल सकेगी। निजी स्कूल भी इस सर्टिफिकेशन कोर्स को शुरू कर सकेंगे। स्वास्थ्य, व्यवसाय, रक्षा व कृषि क्षेत्र में ड्रोन का मुख्य रूप से इस्तेमाल होगा। ऐसे में करीब 2 लाख नए रोजगार ड्रोन के कारण सृजित हो सकेंगे।
दो दिन का काम आधा घंटे में
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि फर्टिलाइजर व कीटनाशक आदि छिड़काव के लिए सुबह-सुबह शाम का समय ही सबसे उपयुक्त होता है। श्रमिकों द्वारा अगर 8 घंटे की शिफ्ट में काम किया जाता है, तो 3 एकड़ खेत में छिड़काव करने में 2 दिन लगते हैं। जबकिं ड्रोन की मदद से इतना ही काम 30 मिनट में पूरा हो जाता है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि श्रमिक व किसान खुद को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक कीटनाशक आदि से खुद को दूर रख पाते हैं। इसके अलावा पानी की बचत होती है, साथ ही दवा भी 20 फीसद कम लगती है।
द्वारा राजेंद्र पाराशर पत्रकार भोपाल