अनाथ बच्चों का जीवन संवारने में जुटी योगी सरकार
मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना से अनाथ बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी उठाएगी योगी सरकार अटल आवासीय विद्यालयों व कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में 12वीं तक मिलेगी निःशुल्क शिक्षा बाल सेवा योजना के तहत बालिकाओं के शादी योग्य होने पर शादी के लिए 1,01,000 की देगी आर्थिक मदद मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत 1060 बच्चों को दिए गए लैपटॉप*
मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के एमआईएस पोर्टल की होगी जून में शुरुआत मिशन शक्ति के तहत जहां एक ओर योगी सरकार महिला सुरक्षा, संरक्षण व उनके विकास पर जोर दे रही है वहीं मिशन वात्सल्य के तहत प्रदेश के बच्चों की देखरेख, संरक्षण और उनके पुनर्वासन पर तेजी से काम कर रही है। योगी सरकार ने प्रदेश में कोरोना महामारी के कारण अनाथ हुए बच्चों के उनके भरण-पोषण, शिक्षा, चिकित्सा की व्यवस्था के लिए एक बेहतरीन कार्ययोजना पर काम कर रही है। कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों समेत दूसरे कारणों से अनाथ हुए बच्चों के लिए मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना सामान्य का संचालन करना सीएम योगी आदित्यनाथ की संवेदनशीलता को दर्शाता है।
इन बच्चों को आर्थिक सहयोग प्रदान करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश में उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना शुरू की गई। मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत 11 से 18 वर्ष तक की आयु के ऐसे बच्चों की शिक्षा के लिए उनको अटल आवासीय विद्यालयों तथा कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में प्रवेश दिया जाएगा। इन्हें 12वीं तक की निःशुल्क शिक्षा मिलेगी। प्रदेश सरकार ऐसी बालिकाओं के शादी योग्य होने पर शादी के लिए एक लाख एक हजार की राशि भी देगी। इसके साथ ही 0 से 18 वर्ष की उम्र तक के ऐसे बच्चे जिनके माता या पिता या दोनों की ही मृत्यु कोरोना संक्रमण से हुई है, ऐसे बच्चों को योगी सरकार 4000 रुपए प्रति माह देगी। जो बच्चे अनाथ हो गए हैं, उनको बाल कल्याण समिति के आदेश से विभाग के तहत संचालित बालगृहों में आश्रय दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत 1060 बच्चों को दिए गए लैपटॉप
मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत कक्षा 9 या इससे ऊपर की कक्षा में व व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त कर रहे 18 वर्ष तक के बच्चों को टैबलेट व लैपटॉप दे रही है। इसके तहत अब तक 1060 बच्चों को लैपटॉप दिए जा चुके हैं। इस योजना के तहत 09 माह की धनराशि (36000 रुपए प्रति बच्चा) का भुगतान किया जा चुका है। कोरोना संक्रमण के कारण अनाथ हुए ऐसे बच्चों को चिन्हित किया जा रहा है। कोविड-19 से माता-पिता दोनों की मृत्यु होने पर अनाथ बच्चों की कुल संख्या 447, कोविड-19 से माता या पिता एक की मृत्यु होने पर अनाथ हुए बच्चों की कुल संख्या 10,602 है। ऐसे में अब तक कुल 11,049 बच्चों को लाभ मिल चुका है।
अब तक प्रदेश में कुल 4681 बच्चों को किया गया चिन्हित
महिला कल्याण विभाग द्वारा कोविड-19 से भिन्न अन्य कारणों से अनाथ हुए बच्चों के अभिभावकों से सम्पर्क कर आवेदन पत्र भराए जा रहे हैं। अब तक प्रदेश में कुल 4,681 बच्चे चिन्हित किए जा चुके हैं। इसके साथ ही जनपदीय टास्कफोर्स के जरिए 1565 स्वीकृत किए गए हैं। बाकी की स्वीकृत कराने की कार्यवाही प्रक्रिया चल रही है। मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना सामान्य के तहत 06 माह की धनराशि की सहायता दी जाएगी। कोविड-19 से भिन्न माता-पिता दोनों की मृत्यु होने पर कुल 383 अनाथ बच्चों, कोविड-19 से भिन्न माता या पिता एक की मृत्यु हाने पर कुल 4,775 अनाथ बच्चों को लाभान्वित किया जा चुका है। अब तक कुल 5,158 बच्चों को लाभ दिया जा चुका है।
मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के एमआईएस पोर्टल की होगी जून में होगी शुरुआत
महिला कल्याण बाल विकास विभाग की ओर से आने वाले 100 दिनों की कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। विभाग की ओर से मिशन वात्सल्य में बाल देखरेख संस्थाओं व किशोर न्याय बोर्डों एवं बाल कल्याण समितियों के लिए एमआईएस पोर्टल की शुरुआत जून में की जाएगी। एमआईएस पोर्टल योजना का पारदर्शी रूप में संचालन किया जाएगा। योजना से जुड़े सभी भौतिक और वित्तीय सूचनाएं ऑनलाइन प्राप्त होने से योजना संचालन का प्रभावी पर्यवेक्षण व समीक्षा संभव हो सकेगी।
दूसरे कारणों से अनाथ हुए बच्चों को मिलेगी आर्थिक मदद
यूपी में कोविड-19 से अलग अन्य कारणों से अनाथ हुए बच्चों के भरण-पोषण, शिक्षा, चिकित्सा की व्यवस्था के लिए आर्थिक सहयोग प्रदान करने के उद्देश्य से यूपी में उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (सामान्य) शुरू हुई। इसमें 18 वर्ष से कम आयु के ऐसे बच्चे जिन्होंने कोविड-19 से भिन्न अन्य कारणों से अपने माता-पिता या किसी एक की मृत्यु होने, 0 से 18 वर्ष तक की आयु के ऐसे बच्चे जो बालश्रम,बाल भिक्षावृत्ति, बाल वैश्यावृत्ति से मुक्त कराया गया हो ऐसे बच्चों को योगी सरकार 2,500 रुपए प्रति माह देगी। इसके साथ ही 18 से 23 वर्ष के ऐसे किशोर को कक्षा 12 तक शिक्षा पूर्ण करने के उपरान्त स्नातक डिग्री अथवा डिप्लोमा प्राप्त करने वाले मेधावी छात्रों को 23 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर इस योजना के तहत लाभान्वित किया जाएगा।