खेतिहर भूमि के बनाए गए मालिक, आवास समेत अन्य योजनाओं से भी होंगे आच्छादित

पांच दशक पहले किसी तरह जान बचाकर पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से आए इन बंगाली हिन्दू परिवारों को भारत में शरण मिली थी। पर, राजनीतिक हलके में अनदेखी के चलते जीवन की बेहतरी के नाम पर उनकी आंखें शून्य निहारने को ही विवश थीं। इस दरम्यान सरकारों ने उन्हें शरणार्थी या विस्थापित से अधिक कुछ नहीं समझा। बस किसी तरह जिंदगी काटने की मजबूरी ही इनकी नियति बनी हुई थी। मानवीय संवेदना के धरातल पर इनकी वेदना को समझा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने। न केवल समझा बल्कि उनके विस्थापन के दर्द की दवा भी की। कभी शरणार्थी रहे ये बंगाली हिन्दू परिवार अब योगी सरकार की मानवीय संवेदनशीलता से भारत के सबसे प्रमुख राज्य उत्तर प्रदेश में अपनी जमीनों के मालिक बन गए हैं। उनके अपने मकान होंगे। साथ ही ये लोग उन सभी योजनाओं के लाभार्थी भी बनेंगे जो राज्य में योगी सरकार बिना मत, मजहब, धर्म, पंथ के भेदभाव के हर पात्र को उपलब्ध कराती है।

पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित होकर आए बंगाली हिन्दू परिवारों के दर्द की योगी सरकार ने की मुकम्मल दवा

पूर्वी पाकिस्तान में मुक्ति संग्राम से पहले पाकिस्तानी सेना के निशाने पर हिन्दू परिवार ही थे। हिन्दू पहचान के नाम पर हत्या आम हो चली थी। पाक सेना के आतंक के चलते पूर्वी पाकिस्तान से हिन्दू परिवार पलायन को मजबूर होने लगे। 1970 में जो हिन्दू परिवार वहां से विस्थापित होकर आए उनमें से कई को हस्तिनापुर के मदन सूत मिल में पुनर्वासित किया गया ताकि इनका जीवनयापन चल सके। 1984 में यह मिल बंद हो गई तो इनके सामने संकट और गहरा हो गया। 1970 में विस्थापित होकर आए हिन्दू परिवारों में से करीब साथ परिवारों के व्यवस्थापन की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश के हिस्से थी। पर, इनका दुर्भाग्य रहा कि 2017 के पहले तक किसी भी सरकार ने उनकी सुध लेने की नहीं सोची। पहली बार मुख्यमंत्री बनते ही योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को इनके व्यवस्थापन की कार्ययोजना बनाने का निर्देश दिया। व्यवस्था बनी और मुकम्मल बनी। दूसरी बार मुख्यमंत्री बनते ही इस व्यवस्था को योगी ने मंगलवार को अमलीजामा भी पहना दिया।

* सीएम योगी की पहल पर समाज व विकास की मुख्यधारा से जुड़े विस्थापित बंगाली हिन्दू परिवार*

योगी सरकार ने पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित होकर आए 63 हिन्दू परिवारों को दो एकड़ कृषि भूमि का पट्टा और उनके आवास के लिए दो सौ मीटर 200 मीटर जमीन का पट्टा प्रदान किया है। इससे इन 63 परिवारों के 400 से अधिक लोग लाभान्वित होकर समाज व विकास की मुख्य धारा से जुड़े हैं। यह काम मंगलवार को सीएम योगी ने अपने दोनों डिप्टी सीएम के साथ खुद किया। इसके साथ ही इन परिवारों को मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत आवास दिया जा रहा है। मानवता के प्रति अभूतपूर्व सेवा मानवीय मूल्यों की नई नजीर पेश करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह भी घोषणा की है कि इन परिवारों को शासन की अन्य योजनाओं से भी आच्छादित किया जाएगा। सीएम योगी की मंशा इन बंगाली हिन्दू परिवारों की बस्ती को “मॉडल” के रूप में विकसित करने की है। 52 साल तक मूलभूत सुविधाओं व आत्मनिर्भरता की राह से दूर रहे इन बंगाली हिन्दू परिवारों बस्ती में अस्पताल, स्कूल, पेयजल की सुविधा, सामादुयिक भवन की सुविधा होगी। आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें रोजगार के साथ भी जोड़ा जाएगा। सीएम ने इस संबंध में अधिकारियों को दिशानिर्देश दे रखे हैं।

*वंचितों का उत्थान में सीएम योगी की रुचि

2017 से अब तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली को देखें तो एक बात स्पष्ट हो जाती है कि वंचितों का उत्थान उनकी उच्च प्राथमिकता में है। 1970 में पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित हुए बंगाली हिंदू परिवारों के उत्थान के लिए मंगलवार को किए गए अभूतपूर्व कार्य से पहले भी वह ऐसी पहल करते रहे हैं। मसलन उत्तर प्रदेश में आजादी के बाद भी पूरी तरह उपेक्षित रहे, वनटांगिया, मुसहर, थारू, कोल, भील समाज को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का श्रेय भी सीएम योगी को ही है। आज इन समाजों के लोग सभी जन कल्याणकारी योजनाओं से आच्छादित हैं। वनटांगिया समाज को तो अपने ही प्रदेश में नागरिक का दर्जा तक नहीं था। योगी सरकार ने वनटांगिया के 38 गांवों को राजस्व गांव के रूप में बदला और इन्हें आजादी के बाद से पहली बार वोट देने का अधिकार मिला।