मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज करेंगे प्राकृतिक खेती

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वे अब अपनी पांच एकड़ जमीन पर प्राकृतिक खेती करेंगे। किसानों से भी उन्होंने अपील की कि प्रदेष में जैविक खेती के बजाय अब प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दें। किसानों को प्राकृतिक खेती की जानकारी भी दिलाई जाएगी। इसके अलावा प्रदेश में प्राकृतिक खेती बोर्ड का गठन किया जाएगा।

प्रदेश की राजधानी भोपाल में गुजरात के राज्यपाल देवव्रत की उपस्थिति में प्राकृतिक खेती पर केन्द्रित कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज  सिंह चौहान ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि  कि प्राकृतिक कृषि पद्धति पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला सिर्फ कर्म-कांड नहीं है, यह कृषि की दशा और दिशा बदलने का महायज्ञ है। प्रदेश में मध्य प्रदेश प्राकृतिक कृषि बोर्ड का तत्काल गठन किया जाएगा। प्राकृतिक खेती की तकनीक की जानकारी देने के लिए प्रदेश के किसानों को पुस्तक उपलब्ध कराई जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं स्वयं अपनी 5 एकड़ भूमि में प्राकृतिक खेती आरंभ कर रहा हूँ। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी कृषकों से अपील की कि उनके पास जितनी भी कृषि भूमि है, उसमें से कुछ क्षेत्र में वे प्राकृतिक खेती प्रारंभ करें। इससे होने वाले लाभ से अन्य कृषक प्राकृतिक खेती विस्तार के लिए प्रेरित होंगे।

धरती की उर्वरा क्षमता को बनाए रखने रहना होगा सचेत

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश जैविक खेती में अग्रणी है। प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी ने प्रकृति का शोषण नहीं दोहन करने का विचार दिया है। यह भविष्य के खतरे को दृष्टिगत रखते हुए दिया गया मंत्र है। रासायनिक खाद और कीटनाशक के उपयोग के परिणामस्वरूप धरती का स्वास्थ्य निरंतर प्रभावित हो रहा है। आने वाली पीढ़ियों के लिए धरती माँ की उर्वरा क्षमता को बनाए रखने के लिए हमें सचेत रहना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह धरती केवल मनुष्यों के लिए नहीं, अपितु कीट-पतंगों और जीव-जंतुओं के लिए भी है। हमने कीटनाशक के अंधाधुंध उपयोग से कीट मित्रों को समाप्त कर दिया है और हमारी नदियाँ भी प्रभावित हुई हैं। प्रधानमंत्री की संकल्पना के अनुरूप जल-संरक्षण के लिए प्रदेश में जलाभिषेक अभियान शुरू किया गया है। हम जितना जल धरती से ले रहे हैं, उस अनुपात में हमें धरती माँ को जल देना भी होगा। यह आने वाली पीढ़ी को बेहतर धरोहर सौंपने का प्रयास है।

प्राकृतिक खेती की वैकल्पिक मार्ग

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह वास्तविकता है कि उत्पादन बढ़ाने के लिए रासायनिक खाद की आवश्यकता थी, उत्पादन बढ़ाना जरूरी था। परंतु समय के साथ इसके दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। रासायनिक खाद एवं कीटनाशक के अधिक उपयोग और खेती में पानी की अधिक आवश्यकता आदि से खेती की लागत बढ़ती जा रही है। उत्पादन तो बढ़ रहा है, लेकिन खर्च भी निरंतर बढ़ता जा रहा है। खेती के इस दुष्चक्र का वैकल्पिक मार्ग खोजना होगा। धरती के स्वास्थ्य, कृषकों की स्थिति और निरोगी जीवन के लिए प्राकृतिक खेती ही वैकल्पिक मार्ग है।

मिशन के रूप में शुरू करेंगे प्राकृतिक खेती

मुख्यमंत्री शिवराज  सिंह चौहान ने कहा कि प्राकृतिक कृषि जनहित में आवश्यक है। इसे मिशन के रूप में प्रारंभ किया जाएगा। किसान को अपने खेत के एक चौथाई हिस्से से यह शुरुआत करने की प्रेरणा दी जाएगी। जिस तरह हिमाचल और गुजरात में प्राकृतिक कृषि के विकास के लिए बोर्ड बनाया गया है, मध्यप्रदेश भी यह कदम उठाएगा। प्रशिक्षण पर विशेष जोर दिया जाएगा। कृषि विभाग के “आत्मा” प्रोजेक्ट से जुड़े अमले को प्रशिक्षित किया जाएगा। मध्यप्रदेश की टीम हिमाचल प्रदेश जाकर प्राकृतिक कृषि के सफल प्रयोगों को देखेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज की कार्यशाला का प्रसारण लाखों लोगों ने सुना और देखा है। इससे प्राकृतिक कृषि के प्रचार में सहयोग मिलेगा। मध्य प्रदेश के किसानों तक संदेश देने की शुरुआत हो गई है। गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत द्वारा दिया गया मार्गदर्शन मध्यप्रदेश के कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।

इस तरह होगी प्राकृतिक खेती बोर्ड की संरचना

गुजरात के राज्यपाल देवव्रत ने बताया कि बोर्ड में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में अन्य मंत्री शामिल होते हैं। राज्य स्तर पर टास्क फोर्स भी कार्य कर सकता है, जिसके अध्यक्ष मुख्य सचिव हैं। इसके अलावा आत्मा परियोजना से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी को एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर का जिम्मा दिया जा सकता है। देवव्रत ने बोर्ड की संरचना का प्रारूप भी मध्यप्रदेश शासन को सौंपा। बोर्ड द्वारा कार्य प्रारंभ किए जाने के पश्चात प्रत्येक विकासखंड में किसान मित्र भी बनाए जाएंगे। बोर्ड के प्रमुख कार्यों में आत्मा से जुड़े स्टाफ को प्रशिक्षित करने, किसानों को क्षेत्र भ्रमण करवाने और प्रदर्शनी और प्रचार-प्रसार करने के कार्य शामिल हैं। प्राकृतिक कृषि करने वाले किसानों के सहयोग से विभिन्न प्रोसेसिंग यूनिट भी प्रारंभ करने की व्यूह रचना बनाई जाए। देवव्रत ने गुजरात के आणंद में इस संबंध में हुए कार्यक्रम की भी जानकारी दी।

 

द्वारा राजेंद्र पाराशर पत्रकार भोपाल