ओडीओपी योजना बनी वरदान, महिलाओं व युवाओं को मिला रोजगार
ग्रो सेंटर बनाकर महिलाओ को एक ही छत के नीचे मिल रही ट्रेनिंग कम पूंजी में व्यापार ने भरी नई उड़ान
ओडीआपी योजना के जरिए यूपी के युवाओं व महिलाओं को रोजगार के नए अवसर मिले हैं। यूपी में एमएसएमई इकाइयों और ओडीओपी योजना कोरोना काल में लाखों लोगों के लिए संजीवनी उस समय बनी जब दूसरे राज्यों से संक्रमण के कारण लोग पलायन कर रहे थे। प्रदेश सरकार ने पिछले साढ़े चार सालों में एमएसएमई व ओडीओपी को बढ़ावा दिया। जिसके सकारात्मक परिणाम सबको देखने को मिले हैं। यूपी ने एक लाख 21 हजार करोड़ के एमएसएमई उत्पादों को निर्यात किया है। कोरोना काल में 40 लाख श्रमिकों को इन एमएसएमई इकाईयों के तहत कार्य मिला है। ओडीओपी योजनाओं से जुड़कर लोग अपने साथ आर्थिक तौर पर जरूरतमंद अन्य महिलाओं को जोड़कर उनको आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रहे हैं।
देवरिया के विवेक सिंह ने बताया कि एमएसएमई के तहत ऋण लेकर वीएस एनर्जी इंटरप्राइजेज से डेकोरेटिव हैंडिक्राफ्ट और बैंबू लाइट का व्यापार शुरू किया। जिसके बाद ओडीओपी के तहत देवरिया के झालर झूमरों की चमक को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बिखरने का काम किया। उन्होंने बताया कि हमारे द्वारा तैयार की गई लाइट, झूमर और झालर की मांग विदेशों के साथ देश के अलग राज्यों में बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि मिशन शक्ति और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इस योजना के तहत सीधे तौर पर 10000 महिलाओं को रोजगार दिया है। इसके साथ ही देवरिया और दूसरे राज्यों में ग्रो सेंटर बनाकर महिलाओ को एक ही छत के नीचे ट्रेनिंग भी दे रहा हूं।
स्वरोजगार के लिए कर रहा महिलाओं को प्रेरित
देवरिया समेत दूसरे जनपदों की महिलाओं को इससे जुड़ी सभी सभी जानकारियां दे रहा हूं। अब तक लगभग 15000 महिलाओं को प्रशिक्षण दे चुका हूं। यूपी के अलग अलग जनपदों में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उनको स्वरोजगार के लिए प्रेरित कर रहा हूं।
प्रदेश सरकार की योजनाओं ने दिखाई राह
काकोरी की रहने वाली देवी ने बताया कि प्रदेश सरकार की योजनाओं से ग्रामीण महिलाओं को सीधे तौर पर लाभ मिल रहा है। आज महिलाएं योजनाओं के जरिए रोजगार की मुख्यधारा से जुड़ रहीं हैं। गुडिया ने बताया कि एलइडी लाइट, झूमर, एलईडी बल्ब तैयार करने का प्रशिक्षण हम लोगों को दिया जा रहा है। इस काम से कम पूंजी में साल भर तक हम लोग अपनी आय का एक नया जरिया तलाश पाए हैं। साल भर तक अलग अलग त्योहारों पर इन सबकी मांग बढ़ जाती है।