जिन अयोध्यावासियों ने देखा था ध्वंस, वही अब राम मंदिर निर्माण के बन रहे साक्षी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की देखरेख में अयोध्या में हो रहा भव्य राम मंदिर का निर्माण
आजाद भारत में छह दिसंबर 1992 का दिन बेहद महत्वपूर्ण है। ऐतिहासिक है। इस दिन भगवान राम के आस्थावान श्रद्धलुओं ने भव्य राममंदिर के निर्माण के लिए अयोध्या में रामजन्मभूमि पर बने ढ़ांचे को ध्वस्त किया था। उस समय समूची अयोध्या में एक ही नारा लग रहा था, रामलला हम आए हैं, अब मंदिर यहीं बनाएंगे। इस घटना के 29 साल बाद अयोध्या के रामजन्मभूमि परिसर में एक भव्य राममंदिर का निर्माण हो रहा है। भव्य राममंदिर के निर्माण को लेकर अयोध्यावासियों में ख़ास उत्साह है। रामनगरी के जिन लोगों ने ढ़ांचे के विध्वंस को देखा था वह अब राममंदिर निर्माण के साक्षी बन रहे हैं। ये अयोध्यावासी अब अतीत को भूलकर भव्य मंदिर निर्माण के साक्षी बनते हुए बदल रही अयोध्या में भविष्य के सपने बन रहे हैं। वर्ष 2023 तक राम मंदिर के निर्माण का कार्य पूरा होना है। तय समय में यह कार्य पूरा हो इसके लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद मंदिर निर्माण के कार्य पर नजर रख रहें हैं।
अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के इतिहास को देखे तो पता चलता है कि राम जन्मभूमि पर जो ढांचा 464 वर्षों से खड़ा था, वह छह दिसंबर 1992 को ध्वस्त किया गया। उस दिन राम जन्म भूमि परिसर में सांकेतिक कार सेवा की शुरुआत शंकराचार्य वासुदेवानंद द्वारा की जानी थी। विश्व हिंदू परिषद के इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए एक लाख से अधिक श्रद्धालु अयोध्या पहुंच गए थे। इन्ही लोगों में से हजारों श्रद्धालु ने अचानक ही आक्रोषित होकर रामजन्मभूमि पर बने ढ़ांचे को ध्वस्त कर दिया था। इस घटना के बाद तत्काल बाद वहां भगवान राम का एका अस्थायी मंदिर 48 घंटे की भीतर कारसेवकों की मदद से बनाया गया। टेंट की छत वाले इस अस्थायी मंदिर में भगवान रामलला की मूर्ति स्थापित कर उसमें पूजा अर्चना शुरू की गई। इस घटना के बाद तत्कालीन केंद्र सरकार ने अयोध्या में 2.77 एकड़ में फैले राम जन्मभूमि परिसर एवं वहां बने राम चबूतरा के इर्द-गिर्द की 67.77 एकड़ भूमि अधिग्रहीत कर ली थी। इस अधिग्रहण के चलते राम जन्मभूमि से जुड़े अनेक मार्ग और कई पौराणिक महत्व के मंदिरों में लोगों का आना जाना थम गया। यहीं नहीं पूरे 28 वर्षों तह भगवान रामलला को टेंट के अस्थायी मंदिर में रहना पड़ा। अयोध्या मामले में जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तो उसद ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर अयोध्या में तिरपाल के नीचे विराजमान रामलला को बीते साल 25 मार्च में अस्थायी बुलेटप्रूफ फाइबर के मंदिर में स्थापित किया गया।
अयोध्यावासियों का तो मानता है, अयोध्या में राम जन्मभूमि परिसर में 25 मार्च को एक नई शुरुआत हुई थी। उस दिन चैत्र नवरात्रि के पहले दिन तड़के तीन बजते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राम जन्मभूमि के गर्भगृह पहुंचकर वहां तिरपाल के नीचे मौजूद रामलला की मूर्ति को मंत्रोच्चार के बीच अपने हाथों में लिया था। रामलला को लेकर मुख्यमंत्री पैदल ही गर्भगृह से करीब 200 मीटर दूर मानस भवन के नजदीक तैयार हो रहे नए अस्थायी मंदिर पहुंचे। यहां पुजारियों की देखरेख में योगी आदित्यनाथ ने रामलला को नए अस्थायी मंदिर में विराजमान किया। तब राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा था, ”नवरात्रि के पहले दिन रामलला को अस्थायी मंदिर में विराजमान करने के साथ ही राम मंदिर निर्माण का प्रथम चरण पूरा हुआ है। वर्षों से रामलला के तिरपाल के नीचे विराजमान होने से लोगों की भावनाएं आहत हो रही थीं।” अब अस्थायी मंदिर में रामलला अपने तीनों भाइयों के साथ चांदी के सिंहासन पर विराजमान हुए हैं। भगवान रामलला के नए अस्थायी मंदिर में विराजमान होने की घटना ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को वापस मंदिर के केंद्र में लाकर खड़ा कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरु ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ, जो गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर थे, ने ही देशभर के धर्माचार्यों को राम जन्मभूमि के मुद्दे पर एकजुट करने के लिए 1984 में श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति का गठन किया था। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या पहुंचे श्रद्धालुओं की अगुआई अवैद्यनाथ भी ने की थी। इतिहास बताता है कि 1990 के दशक से ही गोरखपुर वाकई राम जन्मभूमि आंदोलन का केंद्र रहा है, जहां के पीठाधीश्वर अब आदित्यनाथ हैं। मार्च 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद आदित्यनाथ कई बार अयोध्या पहुंचे हैं। मुख्यमंत्री अयोध्या को ‘वैदिक सिटी’ के तौर पर भव्य रूप देकर दुनिया के आकर्षण का केंद्र बनाने की तैयारी में हैं। इसके तहत ही उन्होंने फैजाबाद जिले का नाम बदलकर अयोध्या किया और अब वह अयोध्या को भव्य रूप देने में जुट गए है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अयोध्या को भव्य एवं आधुनिक शहर बनाने की मुहिम से अब अयोध्या में भविष्य के सपने बन रहे हैं। रामनगरी के जिन लोगों ने राम जन्मभूमि मंदिर और उसके आसपास के मंदिरों एवं उनके अधिग्रहीत परिसरों की दशा दिशा देखी थी, वह अब बदलते दौर की रामनगरी में भव्य राम मंदिर के हो रहे निर्माण के साथ ही यहां शुरू होने वाले कई योजनाओं पर चर्चा कर रहे हैं। अयोध्या निवासी त्रियुग नारायण के अनुसार , वर्ष 1991 में प्रदेश की सत्ता में आये तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने रामनगरी को विश्व पर्यटन के मानचित्र पर उभारने के सपने दिखाने शुरू कर दिये थे। यद्यपि यह सपना साकार होता, तब तक छह दिसंबर 1992 की तारीख आ पहुंची और ढांचा ढहाए जाने की घटना के चलते कल्याण सिंह को त्यागपत्र देना पड़ा। इसके बावजूद रामनगरी ने विश्व पर्यटन के मानचित्र पर स्थापित होने का स्वप्न देखना नहीं छोड़ा। वर्ष 1996 में बसपा के साथ गठबंधन कर भाजपा दूसरी बार प्रदेश की सत्ता में आयी, तो भाजपा के कोटे के तत्कालीन पर्यटन मंत्री कलराज मिश्र ने रामनगरी के पर्यटन विकास की मुहिम छेड़ी। इसी दौर में पौराणिक महत्व के अनेक कुंडों का सुंदरीकरण कराया गया। वर्ष 1999 में कल्याण सिंह ने न केवल अयोध्या के लिए 21 करोड़ का विशेष पैकेज जारी किया, बल्कि मुक्ताकाशीय रंगमंच के रूप में राम कथा पार्क का निर्माण कराया। केंद्र की तत्कालीन अटल सरकार भी रामनगरी के प्रति उदार बनी रही।
त्रियुगी नारायण कहते हैं, वर्ष 2014 में केंद्र एवं वर्ष 2017 में प्रदेश की सत्ता में भाजपा को आने का अवसर मिला, तो रामनगरी के पर्यटन विकास का स्वप्न सूद सहित साकार किया जाने लगा। रामनगरी के बदलाव का यह प्रयास नौ नवंबर 2019 को रामलला के हक में आये सुप्रीम फैसले के बाद तेज हुआ। इसमें तेजी तब और आ गई जब बीते साल पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री के हाथों भव्य राम मंदिर के निर्माण को लेकर यहां भूमिपूजन हुआ। अब भव्य एवं आधुनिक रामनगरी के निर्माण के लिए यहां सौ करोड़ की लागत से रामकी पैड़ी का कायाकल्प, 108 करोड़ की लागत से अयोध्या रेलवे स्टेशन का कायाकल्प, 19 करोड़ की लागत से सरयू तट पर नवनिर्मित भजन संध्या स्थल, सात करोड़ से बस स्टेशन का नवनिर्माण एवं चार करोड़ की लागत से राम कथा पार्क के नवीनीकरण से बदलाव की बयार महसूस की जा सकती है। इसके अलावा अयोध्या में अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के निर्माण का कार्य भी किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री अयोध्या को अंतरराष्ट्रीय तौर पर हिंदुओं की सबसे पवित्र धर्म नगरी के रूप में बसाने की तैयारी में हैं। उसी आधार पर वैदिक सिटी या रामायण सिटी की प्लानिंग की जा रही है। सरकार का यह प्रयास है कि अयोध्या पर्यावरण की दृष्टि से भी दुनिया के सामने मिसाल बने और काफी हरा-भरा नजर आए। 1,200 एकड़ की इंटीग्रेटेड अयोध्या वैदिक सिटी बनाने के लिए शुरुआत में 1,200 करोड़ रुपए का प्रस्ताव तैयार हो रहा है। आने वाले वर्षों में पर्यटकों की आमद की उम्मीद में, सरकार तीन पांच सितारा होटल, तीन से 10 तीन सितारा होटल और 20-30 ऐसी सुविधाओं का निर्माण करने का प्रस्ताव तैयार कर रही है, जहां करीब 10,000 लोगों को ठहराया जा सकता है। कोरिया की राजकुमारी क्वीन हो की याद में सरयू के तट पर बने पार्क का विस्तार किया जा रहा है। 2.5 एकड़ पर 25 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाला यह पार्क भारत-कोरिया के संबंधों का स्मारक होगा। 2017 से, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर अयोध्या में शुरू हुआ ‘दीपोत्सव महोत्सव ने राम नगरी को देश और विदेश में एक विशिष्ट पहचान दी है।
यह सब उस अयोध्या में हो रहा है, जहां अब से 31 साल पहले 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या आंदोलन के दौरान कारसेवकों को जान गंवानी पड़ी थी। सूबे के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने उस दिन अयोध्या में भगवान राम का नाम ले रहे निहत्थे कारसेवकों पर गोली चलवाई थी। तो अर्द्ध सैनिकों की गोली से राम मंदिर के गुंबद पर झंडा फहराते हुए पांच कारसेवकों की मौत हुई थी, जबकि पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज से करीब चालीस कारसेवक पुलिस के लाठीचार्ज और गोलीबारी से घायल हुए थे। इस घटना के चलते ही मुलायम सिंह यादव देश भर में “मौलाना मुलायम” कहे जाने लगे। उनकी यह हिंदू विरोधी छवि अब तक मुलायम सिंह यादव और उनकी समाजवादी पार्टी से हटी नहीं है। वही दूसरी तरफ 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में निहत्थे कारसेवकों के खिलाफ तत्कालीन सरकार के दमनकारी प्रयास ही मंदिर निर्माण की खाद बन गए। अयोध्या का मंदिर आंदोलन जन आंदोलन में तब्दील हो गया और देखते ही देखते बीजेपी राज्य और केंद्र की सत्ता पर काबिज होकर अब अयोध्या में भव्य राममंदिर बनवा रही है। अब अयोध्या में किसी भी तरह का धार्मिक विवाद नहीं है। इस सर्दी के मौसम में अयोध्या के सरयू तट पर श्रद्धलुओं की भीड़ से घाट भरे हुए हैं। घाट पर जय श्रीराम व जय सरयू मैया का जयघोष वातावरण में आध्यात्मिकता का सृजन कर रहा है। कल-कल सतत बहती सरयू मानो ये संदेश दे रही थी कि अब अतीत को भूलकर रामनगरी नई उड़ान को बेकरार है। अयोध्यावासी अब यह मान रहे हैं कि रामनगरी का बुरा समय अब खत्म हो चुका है अब तो रामनगरी विकास, पर्यटन, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, धार्मिक मूल्यों की नई इबारत गढ़ने के लिए बेकरार है। वह दिन दूर नहीं जब सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि पर्यटन की दृष्टि लेकर भी लोग अयोध्या आएंगे। यहां बन रहा भव्य राम मंदिर देखने के लिए दुनिया भर से लोग आएंगे और अयोध्या का नाम अब समूचे संसार में जाना जाएगा।