लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
हम जिनकी कहानी आज आपको बताने वाले हैं उनके बारे में यह लाइनें बिल्कुल सटीक बैठती हैं । राजस्थान के जोधपुर के रहने वाले मुकेश ने सफलता पाने के लिए क्या कुछ नहीं किया, लेकिन कभी अपनी किस्मत को नहीं कोसा। उन्होंने अथक मेहनत के दम पर सफलता अर्जित की। आज हम आपको मुकेश के उसी संघर्ष की कहानी सुनाने जा रहे हैं, जो आपके जीवन में आने वाली चुनौतियों से लड़ने में आपको मोटिवेट जरूर करेगी।
चाय की टपरी से शुरू हुई संघर्ष की शुरुआत
दरअसल, मुकेश के संघर्ष का सफर चाय की टपरी से शुरू हुआ, जिसके बाद उनका यह सफर गार्ड की नौकरी और संघर्षों से होते हुए अपनी मंजिल तक पहुंचा। तमाम तरह के अभाव, असुविधाओं और गरीबी के बावजूद मुकेश ने अपने माता-पिता का सपना पूरा किया। उनकी इस कामयाबी से आज उनका पूरा परिवार खुश है। मुकेश कहते हैं कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं। इसके लिए सबसे जरूरी है कड़ी मेहनत, लगन और संयम, जो व्यक्ति इन सभी चीजों का पालन करता है, सफलता उसके कदम जरूर चूमती है।
दाधीच जोधपुर के रहने वाले मुकेश दाधीच
मुकेश दाधीच जोधपुर के मदेरणा कॉलोनी में रहने वाले हैं। उनके पिता का नाम जय प्रकाश दाधीच है, खास बात यह है कि वह कोई बड़े बिजनेसमैन नहीं हैं। उनका छोटा सा एक चाय का होटल हैं। पिता इसी से घर खर्च भी चलाते हैं, इसके अलावा वह बच्चों को पढ़ाने के लिए जी जान से होटल चलाते हैं।
जब मुकेश ने होश संभाला तो वह पिता के काम में उनका हाथ बटाने लगे। उन्होंने व्यवसाय को संभाल लिया, लेकिन मुकेश के मन में तो कुछ और ही चल रहा था। वो एक अच्छी नौकरी करना चाहते थे, जिसके लिए वह लगातार मेहनत भी कर रहे थे।
मुकेश का रूटीन
दरअसल, मुकेश हर रोज बिलकुल समय से चाय की दुकान पर पहुंच जाते थे। जहां वह काम किया करते थे, इस बीच थोड़ा सा भी समय मिलता तो वह अपनी किताबों में जुट जाते। सारा दिन दुकान पर काम करने के बावजूद मुसीबतें थी कि पीछा छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी। ऐसे में मुकेश ने रात में नौकरी करने का फैसला किया। दिनभर वह होटल पर चाय बेचते, फिर रात को नागोरी गेट स्थित सेंट्रल बैंक के एटीएम पर गार्ड की नौकरी करते थे। इस दौरान वह एटीएम के गार्ड रूम में बैठकर पढ़ाई करते थे।
नहीं मिल पाता था नींद लेने का समय
मुकेश ने बताया कि दिन-रात लगातार काम करने से उन्हें सोने तक का समय नहीं मिलता था। रात के समय भी वह पांच-छह घंटे पढ़ाई करते थे।जैसे ही थोड़ा खाली समय मिलता वह अपनी चाय की दुकान पर पढ़ाई करते थे। लगातार मुकेश की कड़ी मेहनत रंग लाई।