मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के एमआईएस पोर्टल की होगी इस माह में होगी शुरुआत
प्रभावी और पारदर्शी तरीके से हो सकेगा संचालन एक क्लिक पर मिलेगी प्रदेश के सभी आश्रयगृहों की जानकारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश के बच्चों और महिलाओं के प्रति बेहद संवेदनशील हैं। मिशन शक्ति के तहत जहां एक ओर योगी सरकार महिला सुरक्षा, संरक्षण व उनके विकास पर जोर दे रही है वहीं मिशन वात्सल्य के तहत प्रदेश के बच्चों की देखरेख, संरक्षण और उनके पुनर्वासन पर तेजी से काम कर रही है। योगी सरकार ने प्रदेश में कोरोना महामारी के कारण अनाथ हुए बच्चों के उनके भरण-पोषण, शिक्षा, चिकित्सा की व्यवस्था के लिए एक बेहतरीन कार्ययोजना को तैयार की है जिसके तहत जमीनी स्तर पर सीएम के निर्देशानुसार विभाग की ओर से काम किया जा रहा है। ऐसे में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के एमआईएस पोर्टल की शुरूआत इस माह से होने जा रही है।
महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक मनोज राय ने बताया कि विभाग की ओर से एमआईएस पोर्टल तैयार कर लिया गया है। इस पोर्टल में दो तरह की जानकारियां मौजूद रहेंगी। जिसमें एमआईएस पोर्टल में निराश्रित बच्चों और महिलाओं की जानकारी रहेंगी वहीं मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत सामान्य और कोविड दोनों ही बच्चों की सभी जानकारियां मौजूद रहेंगी। उन्होंने बताया कि यूपी में उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (कोविड) के तहत रजिस्टर्ड बच्चों की संख्या 11049 है वहीं यूपी में उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (सामान्य) के तहत रजिस्टर्ड बच्चों की संख्या 5200 है। इन दोनों के तहत रजिस्टर्ड बच्चों से जुड़ी सभी जानकारी पोर्टल पर पर मौजूद रहेगी। जिसमें उनका पता, हेल्थ कार्ड, योजना से लाभान्वित हुए बच्चों की संख्या समेत उनकी पूरी मॉनीटरिंग का पूरा ब्योरा रहेगा।
एक क्लिक पर मिलेगी प्रदेश के सभी आश्रयगृहों की जानकारी
मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के एमआईएस पोर्टल के संचालन से अब एक क्लिक पर आश्रयगृह के बच्चों और महिलाओं की जानकारी मिल सकेगी। अब प्रदेश के सभी बालगृहों, महिला शरणालयों की पूरी जानकारी इस पोर्टल पर रहेगी। मनोज राय ने बताया कि आश्रयहीन संवासियों की घर वापासी, शिक्षा, हेल्थ की जानकारी इस पोर्टल पर होगी वहीं महिला शरणालयों की महिलाओं की सभी जानकारी साथ कौशल विकास के तहत उनको रोजगार से जोड़ने की भी जानकारी रहेगी। प्रदेश में इन महिलाओं और बच्चों की संख्या 8000 है जिनको कौशल विकास के तहत रोजगार से जोड़ना है।