प्रदेश सरकार का विभिन्न विभागों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित कर सड़क दुर्घटनाओं और जनहानि को रोकने पर जोर
सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सड़क सुरक्षा के प्रति स्वयं जागरूक होने के साथ-साथ समाज के लोगों को भी जागरूक करें जनमानस की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर तो जरूरी है ही लेकिन वाहन चालकों की सतर्कता भी जरूरी है-श्री जितिन प्रसाद पीडब्ल्यूडी को अन्य विभागों के साथ समन्वय बनाकर इंजीनियरिंग दोषों को दूर करने, बेहतर साइनेज लगाकर सुरक्षा साधन बढ़ाने, राजमार्गों और सड़कों से अतिक्रमण हटाने की आवश्यकता है-श्री बृजेश सिंह
सड़क दुर्घटनाओं को कम करने और जनहानि को रोकने के लिए प्रदेश सरकार विभिन्न विभागों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने पर जोर दे रही है। भारत सरकार तथा प्रदेश सरकार का लक्ष्य है कि 2025 तक सड़क दुर्घटनाओं में 50 प्रतिशत तक की कमी के साथ 2030 तक सड़क दुर्घटनाओं को शून्य किया जाना। यह बात उत्तर प्रदेश सरकार के लोक निर्माण विभाग के मंत्री श्री जितिन प्रसाद ने विभाग द्वारा आयोजित ’’सड़क सुरक्षा कार्यशाला में कही। लोक निर्माण विभाग, लखनऊ के विश्वेश्वरैया सभागार में हुई इस कार्यशाला में अध्यक्ष के रूप में संबोधित करते हुए मंत्री श्री प्रसाद ने सड़क दुर्घटनाओं के कारण बताते हुए उन्हें कम करने के लिए किए जा रहे सरकारी प्रयासों की जानकारी भी दी।
श्री जितिन प्रसाद ने कहा कि सड़क सुरक्षा से जुड़े विभागों में अंतर्विभागीय समन्वय स्थापित करके दुर्घटनाओं और उनसे होने वाली जनहानियों को रोका जा सकता है। सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए हम सब का कर्तव्य बनता है कि सड़क सुरक्षा के प्रति स्वयं जागरूक होने के साथ-साथ समाज के लोगों को भी जागरूक करें। श्री प्रसाद ने कहा कि जनमानस की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता में है। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया कि निश्चित समयावधि में प्राथमिकता के आधार पर सड़कों के अनावश्यक कट्स को बंद कराया जाए।
श्री प्रसाद ने कहा कि छोटे शहरों को जोड़ने वाली सड़कों से लेकर हाईवे, बायपास और ब्रिज बनाने का काम हो रहा है। सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर तो जरूरी है ही लेकिन वाहन चालकों की सतर्कता भी जरूरी है। दुर्घटनाओं को रोकने के प्रयासों में अतिक्रमण हटाना, यातायात सुगम बनाने के उपायों की जांच करना, सड़क डिजाइन में बदलाव करने जैसे कार्य शामिल हैं। इन सभी के साथ विभिन्न विभागों में समन्वय स्थापित करने और नोडल विभाग बनाने की भी नितांत आवश्यकता है।
कार्यशाला में पीडब्ल्यूडी राज्य मंत्री श्री बृजेश सिंह ने कहा कि पीडब्ल्यूडी को अन्य विभागों के साथ समन्वय बनाकर इंजीनियरिंग दोषों को दूर करने, बेहतर साइनेज लगाकर सुरक्षा साधन बढ़ाने, राजमार्गों और सड़कों से अतिक्रमण हटाने की आवश्यकता है। इस दिशा में काम हो रहा है लेकिन और बेहतर परिणाम हासिल करने की आवश्यकता है।
लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव श्री नरेंद्र भूषण ने कहा कि जिस तरह प्रदेश की अधोसंरचना को सुधारने और विकसित करने की दिशा में काम किया जा रहा है, यह प्रशंसनीय है। आज पूरे देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर की निगाहें भी उत्तर प्रदेश पर है। आने वाले समय में उत्तर प्रदेश और यहां की सड़कों का विकास दुनिया भर के लिए आकर्षण का केंद्र होगा। इसी बात को ध्यान में रखकर योजना बनाकर काम किया जा रहा है और यह विकास अन्य प्रदेशों के लिए मिसाल बनेगा।
कार्यशाला में के.के. कपिला अध्यक्ष, इंटरनेशनल रोड फेडरेशन ने कहा कि आईआरएफ सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों को कम करने के लिए रोड इंजीनियरिंग, वाहन इंजीनियरिंग, शिक्षा, आपातकालीन देखभाल सहित सड़क सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। आईआरएफ की भारतीय ईकाई ने दुर्घटनाओं को कम करने के लिए अपनी पहल में सात सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाओं वाले राज्यों में 150 से 200 किमी. के राजमार्ग खंडों को चुना है। इनमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, राजस्थान, केरल और कर्नाटक शामिल है। इसका उद्देश्य राज्य सरकारों के सहयोग से दुर्घटनाओं में कमीं लाकर मौतों को रोकना है। इस तरह के परिवर्तन का उद्देश्य सड़क सुरक्षा को बढ़ाना और सुधारात्मक प्रयासों से उद्देश्य की पूर्ति करना है।
प्रमुख अभियंता (विकास) मनोज कुमार गुप्ता ने इस दिशा में सरकारी प्रयासों के साथ ही गतिविधियों की जानकारी दी और बताया कि किस तरह विभागीय अधिकारी कांट्रेक्टर, आम लोगों और वाहन चालकों के साथ सामन्जस्य बनाकर काम कर रहे हैं। कम से कम समय में बेहतर से बेहतर परिणाम प्राप्त करने और कार्य पूरा करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि समय पर काम पूरा करने के साथ ही गुणवत्ता का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है। हर काम मानक स्तर पर करवाया जा रहा है ताकि सरकारी योजना को पूरा करने और जनता को लाभ पहुँचाने की दिशा में कोई अड़चन पैदा न हो।
इस अवसर पर डॉ. कईथा रविंद्र (सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट, सीआरआरआई), डॉ. अभिषेक मुदगल (असिस्टेंट प्रोफेसर, आईआईटी बीएचयू), अनिल शिम्पी (अशोका बिल्डकॉन), जॉर्ज जैकब (रोड सेफ्टी एक्सपर्ट) और पारुल कुमार (प्रभाव लर्निंग्स) ने भी वक्ताओं के रूप में अपनी बात रखी और दुर्घटनाओं के कारण बताते हुए समस्या के निराकरण के सुझाव दिए।