उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल तेजी से बन रहा है उद्योगों की पसंद
पांच वर्षों में पूर्वी उप्र में निवेश बढ़ा उत्तर प्रदेश में तीसरी ग्राउन्ड ब्रेकिंग सेरमनी (जीबीसी-3) में आए निवेश के प्रस्तावों से पूर्वी उप्र में औद्योगिक निवेश करने में बढ़ती रुचि के संकेत स्पष्ट रूप से मिल रहे हैं। जहां इस आयोजन में कुल 1406 प्रस्तावों में रु 80,224 करोड़ के निवेश में सर्वाधिक पश्चिम उत्तर प्रदेश के लिए हैं, वहीं दूसरे नंबर पर पूर्वी उप्र या पूर्वांचल है, जहां इलेक्ट्रानिक्स, खाद्य प्रसंस्करण से लेकर ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट शामिल हैं।
प्रदेश का यह पूर्वी क्षेत्र लंबे समय तक पिछड़ा कहलाता था लेकिन पिछले पाँच वर्षों में मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ की विशेष पहल पर यहाँ की बड़ी परियोजनाओं पर काम शुरू हुआ और उनमे कई पूरी भी हुईं। मुख्य मंत्री ने 2017 में अपने पहले कार्यकाल प्रारंभ होने के कुछ समय बाद ही पूर्वाञ्चल विकास के लिए बड़े स्तर पर विशेषज्ञों, उद्योपातियों, अधिकारियों और अन्य संबंधित लोगों से चर्चा कर यहाँ के लिए विस्तृत कार्ययोजना बना उस पर काम शुरू किया।
पूर्वांचल में निवेशकों की रुचि बढ़ने के पीछे एक मुख्य कारण लखनऊ-गाजीपुर पूर्वांचल एक्स्प्रेसवे का त्वरित गति से पूरा होना भी है। इसके शुरू हो जाने से पूर्वी उप्र और पूर्वी राज्यों तक सड़क मार्ग से बहुत कम समय में पहुँचा जा सकता है। इसके अलावा, पूर्वी उप्र के कई प्रोजेक्ट को तेजी से पूरा किया गया, जिनमे कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट, गोरखपुर में लंबे समय से बंद पड़े खाद कारखाने का पुनः संचालन, राष्ट्रीय नहर परियोजना का पूरा होना, पूर्वी उप्र में स्वास्थ्य व चिकित्सा, शिक्षा, उच्च शिक्षा के नए संस्थान शुरू होना, और सुरक्षा के वातावरण का सुदृढ़ होना शामिल हैं।
जीबीसी-3 में जहां सबसे अधिक 73% निवेश पश्चिम उप्र में आया है, वहीं दूसरे स्थान पर पूर्वांचल है, जहां कुल निवेश का 12% प्रस्तावित है। क्षेत्र वार निवेश के आँकड़े देखें, तो पश्चिम उप्र में 865 प्रोजेक्ट (रु 58,671 करोड़), पूर्वांचल 290 प्रोजेक्ट (रु 9617 करोड़), मध्य उप्र 217 प्रोजेक्ट (रु 8997 करोड़) और बुंदेलखंड 34 प्रोजेक्ट (रु 2938 करोड़) आए हैं। जीबीसी-3 के आंकड़ों से स्पष्ट है कि बड़े, मझोले और लघु उद्योगों के लिए अब पूर्वी उत्तर प्रदेश एक पसंदीदा क्षेत्र बनाता जा रहा है।
इस आयोजन में पूर्वी उप्र के जिलों में आए रु 200 करोड़ और उससे अधिक के निवेश के प्रस्तावों में यह प्रमुख हैं:
गोरखपुर में रु 819.81 करोड़ की लागत से गैलेन्ट इस्पात के इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट की स्थापना, गोरखपुर में रु 702 करोड़ की लागत से केयान डिस्टिलरीज के एथानॉल उत्पादन व 15 मेगावाट के पावर प्लांट की स्थापना, अमेठी में रु 700 करोड़ से एसएलएमजी बेवरेज (लधानी समूह की इकाई) का खाद्य प्रसंस्करण प्लांट, सोनभद्र में रु 700 करोड़ की लागत से एसीसी सिमेन्ट का प्लांट, मिर्जापुर में डालमिया भारत ग्रीन विज़न लिमिटेड का रु 600 करोड़ की लागत का सिमेन्ट प्लांट, देवरिया में रु 200 करोड़ की लागत से फॉरेवर डिस्टिलरी का संयंत्र, बाराबंकी में एसएलएमजी बेवरेज का रु 280 करोड़ का प्लांट, महाराजगंज में रु 400 करोड़ की लागत से प्रस्तावित शांति फाउंडेशन ट्रस्ट का चिकित्सा केंद्र, गोरखपुर में रु 250 करोड़ की लागत से ऐशप्रा लाइफस्पेस की आवासीय योजना, मऊ में रु 300 करोड़ की लागत से एएमपी एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड का रिनूएबेल एनर्जी (नवीकरणीय ऊर्जा) प्रोजेक्ट, बलिया में रु 450 करोड़ की लागत से एएमपी एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड का नवीकरणीय ऊर्जा प्रोजेक्ट, आजमगढ़ में रु 400 करोड़ की लागत से रु 300 करोड़ की लागत से चित्रदुर्ग एनर्जी का नवीकरणीय ऊर्जा प्रोजेक्ट, फतेहपुर में रु 350 करोड़ की लागत से प्रस्तावित अवाडा आरजे ग्रीन का नवीकरणीय ऊर्जा का प्रोजेक्ट, सोनभद्र में एनटीपीसी (आरई) लिमिटेड का नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्र।
इस क्षेत्र के लिए रु 200 करोड़ से कम के प्रस्तावों में ये शामिल हैं:
अमेठी में अग्रहरी मसाला उद्योग (रु 27.9 करोड़), बहराइच में श्याम सखा फूड एंड बेवेरेज (रु 20 करोड़), बाराबंकी में गणपती एग्री बिजनस (रु 14 करोड़), चंदौली में उज्ज्वल इंटरप्राइज़ (रु 12.2 करोड़), गोरखपुर में जीआरएल एडिबल प्रा लि (रु 40 करोड़), इंडिया ग्लईकोल (रु 125 करोड़), मुस्कान इंडस्ट्रीज़ (रु 18.8 करोड़), शाश्वत पावर टेक (रु 10.7 करोड़), कुशीनगर में श्याम रत्न फूड इंडस्ट्री (रु 25 करोड़), सुल्तानपुर में राजेश मिल्क एंड एडिबिल प्रोडक्टस (रु 32 करोड़), वाराणसी में पार्ले एग्रो (रु 175 करोड़), राजा उद्योग प्रा लि (रु 42 करोड़), श्री तिरुपति बालाजी इंडस्ट्रीज़ (रु 18.7 करोड़), बाराबंकी में गोदरेज ऍग्रोवेट लि (रु 85 करोड़), गोरखपुर में सीपी मिल्क एण्ड फूड प्रोडक्टस (रु 118 करोड़), प्रयागराज में यूनाइटेड यूनिवर्सिटी (रु 100 करोड़), चंदौली में श्री गोविंद पॉलीटेक्स प्रा लि (रु 13.4 करोड़), संत कबीर नगर में जानवी स्पिननर्स प्रा लि (रु 11 करोड़), बाराबंकी में हिल्टाप ट्रेडर्स प्रा लि (रु 55 करोड़), गोरखपुर में गैलेन्ट इंडस्ट्रीज़ (रु 135 करोड़), क्वॉर्ट्ज ओपलवेयर (रु 120 करोड़), तत्व प्लास्टिक्स पाइप प्रा लि (रु 102 करोड़), मिर्जापुर में आरएलजे इंफ्रा सिमेन्ट प्रा लि (रु 145 करोड़), बाराबंकी में हर्बोकेम इंडस्ट्रीज़ (रु 18 करोड़), राय बरेली में इनोक्स एयर प्रोडक्शंस प्रा लि (रु 150 करोड़), मिर्जापुर में जिंदल पाइप लि (रु 50 करोड़), प्रतापगढ़ में क्लीन सोलर रुफटॉप (रु 50 करोड़), अयोध्या में होटल जनक पैलेस (रु 14.5 करोड़), उषा रानी डेवलपर्स प्रा लि (रु 16 करोड़), गोरखपुर में ऐशप्रा सोल्युशंस (रु 82.6 करोड़), कॉन्टिनेन्टल डेवलपर्स प्रा लि (रु 36.2 करोड़), साकेत कुंज लैंडमार्क प्रा लि (रु 35 करोड़), प्रयागराज में होटल रामा कॉन्टिनेन्टल (रु 10 करोड़), वाराणसी में नवीन साड़ी केंद्र प्रा लि (रु 22.5 करोड़), अमेठी में मधुरिमा लोजिस्टिक्स (रु 10.5 करोड़), अयोध्या में एनसीएमएल फैजाबाद प्रा लि (रु 100 करोड़), बस्ती में एनसीएमएल बस्ती प्रा लि (रु 92.6 करोड़), देवरिया में एनसीएमएल देवरिया प्रा लि (रु 100 करोड़), फतेहपुर में यूपी लोजिस्टिक्स प्रा लि (रु 70 करोड़), गाज़ीपुर में सहदेव पघोरिया (रु 13.5 करोड़), गोरखपुर में कॉनसीलोस (रु 41 करोड़), प्रतापगढ़ में नंदनी इंफ्रास्ट्रक्चर (रु 30 करोड़) इसके अतिरिक्त, बड़ी संख्या में एमएसएमई इकाइयां भी पूर्वी उप्र के कई जिलों में लगाए जाना प्रस्तावित है।
आने वाले समय में अन्य परियोजनाओं के पूरा हो जाने के साथ ही पूर्वी उप्र में बड़े स्तर पर नए उद्योग शुरू होने की संभावना है।